कार क्रैश टेस्ट कर गाड़ी को ऐसे दी जाती है सेफ्टी रेटिंग, जानिए पूरा प्रॉसेस
कार खरीदने वाले ज्यादातर लोग कार के एयरबैग की जानकारी लेकर उसके सेफ्टी का अंदाजा लगा लेते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि एक कार की सेफ्टी रेटिंग कैसे दी जाती है? अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इसको फुल प्रॉसेस।
By Sarveshwar PathakEdited By: Updated: Thu, 24 Feb 2022 10:15 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। कार खरीदने से पहले यह जानना जरूरी है कि वो आपके और आपके परिवार को कितना सुरक्षित रख पाएगा। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट उठाकर देखें तो प्रत्येक वर्ष रोड एक्सिडेंट में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कार खरीदने वाले लोग सेफ्टी को लेकर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। आपको बता दें कि किसी भी कार की मजबूती का अंदाजा क्रैश टेस्ट और सेफ्टी रेटिंग से लगाया जा सकता है, तो आइए आज आपको भी बताते हैं इसका कंप्लीट प्रॉसेस...
जानिए कैसे दी जाती है रेटिंग बताते चलें कि कार के फीचर्स बड़े और बच्चों दोनों के लिए अलग-अलग होता है। NCAP द्वारा लगभग सभी कंपनियों का कारों का क्रैश टेस्ट (Car Crash Testing) किया जाता है, लेकिन कार के सभी वैरिएंट की जांच नहीं होती है। कारों में एयरबैग्स, सेफ्टी बेल्ट, बैक सेंसर, स्पीड अलर्ट समेत तमाम फीचर्स होते हैं और इन फीचर्स को कार का क्रैश टेस्ट कर किया जाता है, जिसके बाद सेफ्टी रेटिंग दी जाती है।
क्रैश के दौरान का प्रॉसेस रेटिंग प्रॉसेस के लिए इंसान जैसी डमी का प्रयोग किया जाता है। कार को हाई स्पीड के साथ किसी ठोस वस्तु से टकराया जाता है। इस दौरान कार में लगभग 4 से 5 डमी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें बच्चे की डमी भी शामिल रहती है। इसके बाद देखा जाता है कि कार के सेफ्टी फीचर्स ने कितना काम किया और डमी कितनी डैमेज हुई है। इन सभी बातों का ध्यान में रखते हुए रेटिंग दी जाती है।
आपको बता दें कि भारत सरकार बहुत जल्द ही एक इंडिपेंडेंट कार एक्सीडेंट टेस्ट सॉल्यूशन लाने की तैयार कर रही है, जो अलग-अलग स्टैंडर्ड्स के आधार पर कार की सेफ्टी रेटिंग जारी करेगा। भारत सरकार ने 2016 में Global NCAP जैसे सेफ्टी फीचर्स के आधार पर नई पैसेंजर कारों के लिए एक स्टार रेटिंग प्रोग्राम का ऑफर रखा था, लेकिन वह आइडिया जल्द ही फेल हो गया।