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कैसे Seatbelt बना गाड़ी का सबसे अहम सुरक्षा फीचर, जानिए कब हुई थी इसकी शुरुआत

आज के समय से तुलना करें तो पहले के समय में कारें इतनी एडवांस और सेफ्टी फीचर्स से लैस नहीं होती थी। जिसके कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ती थीलेकिन समय की मांग और लोगों की सेफ्टी को देखते हुए वाहन निर्माता कंपनियों ने कार में कई सेफ्टी फीचर्स देने शुरु कर दिए। सेफ्टी फीचर में से एक सीट बेल्ट भी है।

By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi ChaturvediUpdated: Sat, 30 Sep 2023 12:51 PM (IST)
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seatbelt का आविष्कार कब हुआ? आज के समय में कितना एडवांस
ऑटो डेस्क,नई दिल्ली। आज के समय गाड़ियां कई दमदार फीचर से लैस होकर आती है। इस समय हर एक कार में सीट बेल्ट अनिवार्य रूप में आ रहा है। मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार बिना सीट बेल्ट के अगर आप यात्रा करते हैं तो ये एक दंडनीय अपराध है। लेकिन क्या आपको पता है, शुरू में जब गाड़ियां लॉन्च होती थीं तब उसमें सीट बेल्ट जैसा फीचर नहीं मिलता था।

आज के समय से तुलना करें तो पहले के समय में कारें इतनी एडवांस और सेफ्टी फीचर्स से लैस नहीं होती थी। जिसके कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ती थी,लेकिन समय की मांग और लोगों की सेफ्टी को देखते हुए वाहन निर्माता कंपनियों ने कार में कई सेफ्टी फीचर्स देने शुरु कर दिए, सेफ्टी फीचर में से एक सीट बेल्ट भी है। क्या आप ये जानते हैं कि आखिर इसका आविष्कार कब हुआ और इस फीचर का इस्तेमाल कब किया गया था।  

19वीं सदी में हुआ था आविष्कार

आपकी जानकारी के लिए बता दें, दुनिया की पहली थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट की डिजाइन का खिताब रोजर डब्ल्यू ग्रीस्वॉल्ड और डेहेव के नाम है, उन्होंने साल 1995 में इसकी डिजाइन की थी।  इसके बाद समय बदला और स्वीडन की कंपनी SAAB ने पहली बार सीट बेल्ट को बतौर स्टैंडर्ड फीचर अपनी कारों में इस्तेमाल करना शुरू किया था। 1955 के बाद सीट बेल्ट में बदलाव साल 1958 में किया गया था, जहां पर स्वीडन के रहने वाले निल्स बोहलिन ने थ्री -प्वाइंट सीटबेल्ट को डेवलप किया, जिस समय वोल्वो की गाड़ियों में इसे इस्तेमाल किया गया, आपको बता दें, नील्स बोहलिन द्वारा डेवलप किए गए थ्री- प्वाइंट सीट बेल्ट का इस्तेमाल आज भी कई कारों में किया जाता है।

वोल्वो इंजीनियर निल्स बोहलिन

वहीं साल 1958 के बाद साल 1959 में वोल्वो इंजीनियर निल्स बोहलिन ने एडवांस थ्री -प्वाइंट सीट बेल्ट को विकसित किया था। उस समय कंपनी ने अपने डिजाइन को पेटेंट कराया था, फिर उसे फ्री कर दिया था। ताकि अन्य वाहन बनाने वाली कंपनियां भी अपने कारों में इसका इस्तेमाल कर सकें। सीट बेल्ट के चलन के बढ़ने के बाद से ही सड़क दुर्घटना में कमी आने लगी उसमें गिरावट देखने को मिली। इसके बाद से सरकार ने भी सभी गाड़ियों में सीट बेल्ट को अनिर्वाय कर दिया।

आज के समय में सीट बेल्ट कितना एडवांस

आपको बता दें, आज के समय में जो भी कारें आ रही है उसमें सीट बेल्ट रिमाइंडर आ रहा है। वहीं सीट बेल्ट के साथ एयरबैग भी अनिवार्य हो गया है। जिसके कारण सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या में कमी हो गई है।

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