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Hybrid कार लेने से पहले रखें इन बातों का ख्याल, सोच लें कितना सही है आपका फैसला

प्लगइन हाइब्रिड कारों के बैटरी पैक की कीमत लाखों रुपये भी हो सकती है। वहीं स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों का बैटरी पैक 3 साल तक चलती है। आपको ये कार खरीदने से पहले इन छोटी -छोटी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। (जागरण फोटो)

By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi ChaturvediUpdated: Thu, 15 Jun 2023 08:00 PM (IST)
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Hybrid कार को लेने से पहले रखें इन बातों का ख्याल
नई दिल्ली,ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड दिन पर दिन काफी तेजी से बढ़ते जा रही है। तेजी से बदलते ऑटोमोबाइल मार्केट में अब ईवी के साथ हाइब्रिड कारों की सेल में भी तेजी आ रही है। अपने बेहतरीन माइलेज के चलते हाइब्रिड कारें लोगों के बीच काफी अधिक पॉपुलर हो गई है और कंपनियां अपनी प्रीमियम एसयूवी या फिर सेडान में हाईब्रिड इंजन दे रही है। अगर आप हाइब्रिड कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको ये जानना जरूरी है कि आखिर हाइब्रिड कार होती क्या है।

हाइब्रिड कारों का कॉन्सेप्ट नया नहीं है

दरअसल हाइब्रिड कारों का कॉन्सेप्ट नया नहीं है, लेकिन इंडिया में ये कुछ ही सालों पहले अधिक पॉपुलर हुआ था। अगर आपको इसके बारे में आसान भाषा में समझाएं तो ये बैटरी और इंजन की कंबाइंड पावर से चलती है। चलिए, आपको इसके पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट्स के बारे में बताते हैं।

क्या होती है हाइब्रिड कार

जैसा कि आपको बताया जा चुका है कि बैटरी और इंजन की कंबाइंड पावर से चलने वाली कारों को हाइब्रिड कहा जाता है। वहीं इन कारों के दो प्रकार होते हैं- पहला माइल्ड हाइब्रिड और दूसरा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड। माइल्ड कार में बैटरी से पावर मोटर को मिलती है और ये इंजन की पावर से अटैच होकर पहियों को घूमती है।

वहां स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों में एक निश्चित गति तक कार इलेक्ट्रिक मोटर पर ही चलती है और स्पीड बढ़ाने या पावर की ज्यादा जरूरत पड़ने पर ये इंजन की पावर पर शिफ्ट होती है।

इनमें प्लगइन हाईब्रिड भी आती हैं जिनकी बैटरी को आप नार्मल इलेक्ट्रिक कार की तरह चार्ज कर सकते हैं। इंजन की पावर पर शिफ्ट होती है। आपको बता दें, इसमें प्लग इन हाइब्रिड भी आती हैं। वहीं इन कारों का सबसे बड़ा फायदा ये है कि पेट्रोल खत्म पर होने की स्थिति में भी ये 20 से 30 किलोमीटर की दूरी तक चल सकती है।

सर्विस की समस्याएं

हाइब्रिड कार में सबसे बडी समस्या सर्विस की है, क्योंकि ये अधिक संख्या में भारतीय बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसकी सर्विस केवल ऑथोराइज्ड सर्विस सेंटर पर ही होती है, क्योंकि सामान्य कारों के मैकेनिक इसके कॉम्पलैक्स इंजन या मोटर की प्रॉब्लम को सही नहीं कर सकते हैं।

सामान्य पेट्रोल इंजन की कारों के मुकाबले हाईब्रिड कारों की सर्विस काफी महंगी होती है। आपको बता दें, सर्विस पेट्रोल कारों के मुकाबले 50 से 70 प्रतिशत रुपये अधिक अधिक होती है। ऐसे में ये कार चलाने में काफी सस्ती पड़ती है, लेकिन हर 15 हजार किलोमीटर पर होने वाली सर्विस का चार्ज काफी अधिक आ जाता है।

बैटरी पैक होता है महंगी

हाइब्रिड कारों का बैटरी पैक अधिक महंगा होता है। प्लगइन हाइब्रिड कारों के बैटरी पैक की कीमत लाखों रुपये भी हो सकती है। स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों का बैटरी पैक 3 साल तक चलता है। इसे बदलवाने के लिए काफी खर्च करना पड़ता है।