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कार के साथ हो जाए हादसा तो किन कारणों से नहीं मिलता Insurance Claim, जानें पूरी डिटेल

भारत में हर रोज बड़ी संख्‍या में सड़क हादसे होते हैं। जिसके बाद कार को ठीक करवाने के लिए लोग Insurance Claim लेते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि क्‍लेम अप्‍लाई करने के बाद कंपनी की ओर से उसे रिजेक्‍ट कर दिया जाता है। किन कारणों से इंश्‍योरेंस कंपनी की ओर से क्‍लेम नहीं दिया जाता। आइए जानते हैं।

By Sameer Goel Edited By: Sameer Goel Published: Tue, 18 Jun 2024 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2024 10:42 AM (IST)
किन कारणों से इंंश्‍योरेंस कंपनी की ओर से क्‍लेम को रिजेक्‍ट किया जा सकता है। आइए जानते हैं।

ऑटो डेस्‍क, नई दिल्‍ली। कई बार लोग कार को ठीक करवाने के लिए Insurance Claim लेते हैं। लेकिन कुछ कारणों से कंपनी की ओर से क्‍लेम पास नहीं किया जाता। हम इस खबर में आपको बता रहे हैं कि कंपनी की ओर से किन कारणों से इंश्‍योरेंस क्‍लेम को रिजेक्‍ट किया जा सकता है।

पुरानी कार खरीदते समय रखें ध्‍यान

महंगी होती कारों के कारण ज्‍यादातर लोग पुरानी कार खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन पुरानी कार खरीदने के बाद कई बार इंश्‍योरेंस को ट्रांसफर करवाने में देर कर देते हैं। ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाता है तो इंश्‍योरेंस कंपनी की ओर से क्‍लेम को रिजेक्‍ट भी किया जा सकता है।

ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी

अगर किसी व्‍यक्ति के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है या फिर उसका लाइसेंस एक्‍सपायर हो गया हो और उससे कार चलाते समय हादसा हो जाता है। तो भी इंश्‍योरेंस कंपनी की ओर से क्‍लेम को रिजेक्‍ट किया जा सकता है।

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इन कारणों से भी नहीं मिलता क्‍लेम

इंश्‍योरेंस ट्रांसफर या बिना वैध लाइसेंस के कार चलाने के अलावा कई और कारण भी होते हैं, जिनके कारण Insurance Claim को रिजेक्‍ट किया जा सकता है। इनमें प्रमुख कारण निजी कार को कमर्शियल कार की तरह उपयोग करने, अथॉरिटी को बिना बताए कार मोडिफाई करने और हादसा होने के बाद कंपनी को देरी से जानकारी देने के कारण भी जरूरत के समय इंश्‍योरेंस क्‍लेम को रिजेक्‍ट किया जा सकता है।

न करें ये काम

अगर आपको इंश्‍योरेंस कंपनी की ओर से जरूरत के समय क्‍लेम चाहिए तो कई कामों को करने से बचना चाहिए। आमतौर पर लोग छोटी छोटी चीजों के लिए क्‍लेम लेने लगते हैं। इसके अलावा कई बार फर्जी तरीके से क्‍लेम पास करवाने के लिए अप्‍लाई करते हैं। लेकिन अगर कंपनी को इस बात की जानकारी मिल जाती है, तो भी कंपनी आपका क्‍लेम रिजेक्‍ट करने के साथ ही आपको ब्‍लैकलिस्‍ट में भी डाल सकती है।

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