Car Waiting Period कितना सही? क्या डीलरशिप उठाती हैं इसका फायदा, यहां जानिए सभी सवालों के जवाब
जब हम अपनी किसी मनपसंद कार खरीदने का प्लान करते हैं तो ऐसे में उसको बुक कराने से लेकर डिलीवरी के बीच लगने वाले समय को वेटिंग पीरियड कहते हैं। मार्केट में जिस कार की ज्यादा मांग होती है उसको लेकर Waiting Period भी उतना ज्यादा ही बढ़ जाता है। क्या है इसकी पूरी कहानी आइए आसान भाषा में समझ लेते हैं।
By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Tue, 11 Jul 2023 08:00 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। आजकल देश के ऑटोमोबाइल बाजार में वेटिंग पीरियड नाम का शब्द सबकी जुबान पर है। स्थिति ये हो गई है कि कोई नई गाड़ी लॉन्च बाद में होती है, उसके खरीदने वालों की कतार पहले से लग जाती है और फिर उस पार्टिकुलर मॉडल की प्रतीक्षा अवधि (Waiting Period) काफी बढ़ जाती है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सच में देश के अंदर कारों की केवल मांग बढ़ी है, प्रोडक्शन अभी भी कम हो रहा है? या फिर ऑटोमोबाइल कंपनियों की ये कोई सोची-समझी चाल है। अपने इस लेख में इस पर ही बात करने वाले हैं।
वेटिंग पीरियड क्या है?
जब हम अपनी किसी मनपसंद कार खरीदने का प्लान करते हैं, तो ऐसे में उसको बुक कराने से लेकर डिलीवरी के बीच लगने वाले समय को वेटिंग पीरियड कहते हैं। मार्केट में जिस कार की ज्यादा मांग होती है, उसको लेकर Waiting Period भी उतना ज्यादा ही बढ़ जाता है। इसको लेकर लोगों के अंदर कई तरह के सवाल भी उठते हैं। कई ग्राहक तो कंपनियों पर ये भी आरोप लगा देते हैं कि कार मॉडल्स पर बताए जाने वाला वेटिंग पीरियड कंपनी की जानी-मानी स्ट्रेटजी होती है।
कितना सही वेटिंग पीरियड?
ये कहना एकदम गलत नहीं है कि लगातार बढ़ रही गाड़ियों की मांग के चलते कंपनियां अपने ग्राहकों को समय में प्रोडक्ट उपलब्ध कराने में विफल हो रही हैं। कई बार ये भी देखने को मिलता है कि वेटिंग पीरियड की वजह से जब कार की बिक्री पर असर पड़ने लगता है यानी ग्राहक बुकिंग निरस्त कराने लगते हैं, तो कार कंपनियां एक दम से प्रतीक्षा अवधि को घटा देती हैं। ऐसे में ग्राहक ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि कहीं ये कंपनियों की जानी-समझी रणनीति तो नहीं है।क्या वेटिंग पीरियड का फायदा उठाते हैं डीलर?
कई बार आरोप लगता है कि डीलरशिप पर वेटिंग पीरियड को लेकर ग्राहकों से अधिक पैसे वसूल लिए जाते हैं। ये कहना काफी हद तक सही भी है। ग्राहकों द्वारा लंबे समय तक प्रतीक्षा करने से डीलरशिप को अक्सर लाभ होता है। इसका फायदा उठाते हुए, कई डीलरशिप जल्दी डिलीवरी के लिए अपनी कीमतें बढ़ा देती हैं और ग्राहकों से प्रीमियम अमाउंट भी वसूल लेती हैं। वहीं, डीलरशिप अक्सर लंबी प्रतीक्षा अवधि के दौरान टॉप वेरिएंट की जल्दी डिलीवरी की पेशकश करते हैं, जिससे ग्राहक इसे बुक करने के लिए मान जाता है और डीलर को अच्छा लाभ होता है।कैसे जल्दी खरीद सकते हैं अपनी मनपसंद कार?
अगर आपने कोई कार पसंद की और आप चाहते हैं कि उसका वेटिंग पीरियड कम हो जाए तो आप कुछ चीजों को अपनाकर ऐसा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि आप किसी कार का मिड वेरिएंट खरीद रहे हैं जिसकी कीमत 10 लाख रुपये है और उसका वेटिंग पीरियड सात महीने का है, तो आप इस तरह से अपनी कार को कम समय में खरीद सकते हैं।- टॉप वेरिएंट खरीदने पर कुछ महीने का वेटिंग पीरियड कम हो सकता है।
- डीलरशिप या शहर बदलने पर भी आपको प्रतीक्षा अवधि में छूट मिल सकती है।
- कई बार एक विशेष रंग पर लंबा वेटिंग पीरियड होता है, दूसरे रंग की कार खरीदकर भी प्रतीक्षा अवधि कम हो सकती है।
- अगर कोई अपना ऑर्डर निरस्त करता है, तो डीलरशिप उसकी जगह पर आपको कार डिलीवर कर सकती है।
- कार में एक्ससरी लगवाने का वादा करने पर भी डीलरशिप वेटिंग पीरियड कम कराने का प्रयास करती हैं।