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रोड एक्सीडेंट के बाद पता है गोल्डन ऑवर की अहमियत? बेहतर रिकवरी के साथ जान बचने का ज्यादा चांस

Importance of Golden Hour हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि किसी भी दुर्घटना के बाद घायल को किनती देर के अंगर इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुंचा देना चाहिए। वहीं यह भी बता रहे हैं कि अगर आपके साथ या फिर आपके साथी के साथ दुर्घटना हो जाती है तो आपको क्या करना चाहिए और प्राथमिक उपचार किस तरह से देना चाहिए।

By Mrityunjay Chaudhary Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Mon, 22 Jul 2024 08:30 PM (IST)
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सड़क हादसे के बाद गंभीर रूप से घायलों की गोल्डन ऑवर में करें मदद।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। भारत में वाहनों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। उसी तरह साल दर साल दुर्घटना के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। इसे लेकर सरकारें भी चिंतित हैं और इसे लेकर वह काम भी कर रही है। रोड एक्सीडेंड के बाद सबसे ज्यादा जरूरी होता है, घायल हुए व्यक्ति को 'गोल्डन ऑवर' में उचित इलाज मिलना। इससे न सिर्फ जान बचाई जा सकती है बल्कि घायल व्यक्ति को इंजरी से बेहतर रिकवरी मिलने के ज्यादा चांस होते हैं।

क्या है गोल्डन ऑवर?

गोल्डन ऑवर शब्द का उपयोग रोड एक्सीडेंट के दौरान घायल व्यक्ति को उचित समय पर इलाज मिलने की समय सीमा के लिए किया जाता है। इसकी अवधारण फ्रांस की सेना ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किया था। उस वक्त डॉक्टरों का मानना था कि गोल्डन ऑवर जीवन और मृत्यु के बीच का वह महत्वपूर्ण समय जिसमें उचित इलाज मिले तो घायल व्यक्ति की जिंदगी बचाई जा सकती है। रोड एक्सीडेंट के दौरान यह समय एक घंटे का है।

road accident

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट में की माने तो सड़क दुर्घटना के बाद घायलों को समय से इलाज मिलने से हादसे में मृतकों की संख्या आधी की जा सकती है।

किस लिए कहते हैं इसे गोल्डन ऑवर

किसी भी दुर्घटना में गंभीर चोट लगने पर मरीजों के शरीर से काफी ज्यादा खून बह जाता है। मरीज का जितना ज्यादा खून बहेगा, उतना ही ज्यादा खतरा बढ़ता जाएगा। ऐसे में मरीज को जितनी जल्दी हो सकें उतनी जल्दी उचित इलाज मिलना चाहिए, जिससे उसकी जान बच सकें।

गोल्डन ऑवर

गोल्डन ऑवर को लेकर हमने शारदा अस्पताल की आपातकालीन चिकित्सा विभाग की डॉक्टर सैफा एम लतीफ से बात की। आइए जानते हैं कि उनका इस पर क्या कहना है।

सवाल-1: दुर्घटना के तुरंत बाद क्या करना चाहिए?

  • सड़क दुर्घटना होने के तुरंत बाद, सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि आप सुरक्षित हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपके सहयात्री भी सुरक्षित हैं।अगर आपको चोट लगी है तो हिलने की कोशिश न करें। घबराने की बजाय शांत रहें।
  • ज्यादा चोट नहीं लगी है तो तुरंत अपने सहयात्रियों की जांच करें और चिकित्सा सहायता लें।
  • यह भी देखें कि किसी तरह का रक्तस्राव या फिर सभी अंग सही काम कर रहे हैं या नहीं।
  • इसके साथ ही आपको तुरंत एम्बुलेंस या पुलिस को कॉल करना है। उन्हें शांति से एक्सीडेंट की सटीक जगह, घायलों की संख्या और अगर कोई गंभीर रूप से घायल है तो उसके बारे में भी बताएं।

सवाल-2: सड़क दुर्घटना में घायलों को किस तरह से फर्स्ट ऐड देना चाहिए?

किसी भी घायल को सही प्राथमिक उपचार देने से उनके बचने की संभावना बढ़ जाती है। इससे चोटों की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को किस तरह से संभाला जाए ताकि किसी भी चोट, खासकर रीढ़ की हड्डी की चोट को और खराब न किया जा सके।

फर्स्ट ऐड के दौरान क्या करें?

घायल व्यक्ति को गर्दन न हिलाने दें। गर्दन के दोनों तरफ लकड़ी के ब्लॉक जैसी कोई कठोर वस्तु रखें। घायल व्यक्ति को गंभीर चोट लगने पर उन्हें हिलाने से उनकी चोटें और भी खराब हो सकती हैं या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है। अगर घायल खून की उल्टी कर रहा है, तो उसे सीधा न लिटाएं और किसी एक तरफ करवट लिटा दें।

first aid

फर्स्ट ऐड के दौरान क्या नहीं करें?

अगर आपके शरीर में कुछ चुभ या घुस गया है तो उसे निकालने की कोशिश नहीं करें। ऐसा करने से आपके शरीर से बहुत ज्यादा खून बह सकता है। अगर आपके पैर या हाथ घटना के बाद काम नहीं कर रहे हैं तो उन्हें बिना सहारे के नहीं हिलाएं। अगर आप ऐसा करते हैं, तो वह अंग और भी खराब हो सकता है।

first aid

सवाल-3: दुर्घटना के कितने समय के अंदर घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना चाहिए?

घटना के बाद पीड़ित कैसा भी महसूस कर रहा हो, उसे जितनी जल्दी हो सके चिकित्सा सहायता लेना हमेशा सही होता है। ऐसी स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता की सलाह दी जाती है क्योंकि कई चोटें शुरुआती कुछ घंटों में स्पष्ट नहीं हो सकती हैं। आंतरिक रक्तस्राव, मस्तिष्क में चोट आदि जैसी कुछ चोटें तुरंत स्पष्ट नहीं हो सकती हैं। आपातकालीन कक्ष में उचित मूल्यांकन किसी भी जानलेवा चोट की पहचान करने और उचित उपचार की शुरुआत में मदद करता है। उचित आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ और ट्रॉमा सेंटर इस दौरान प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

सड़क दुर्घटना से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • हमेशा जेब्रा क्रॉसिंग से ही सड़क पार करें।
  • शराब पीकर या नशे में कभी गाड़ी न चलाएं।
  • अगर थके हुए हैं तो तो आप गाड़ी न चलाएं।
  • वाहन चलाते हुए ट्रैफिक सिग्नल का पालन करें।
  • पैदल या वाहन चलाते समय हमेशा बाईं ही रहें।
  • चौराहों, तिराहों या मुड़ते समय स्पीड कम करें।
  • गाड़ी की स्पीड धीमा करने के बाद ही टर्न लें।
  • सड़क पर चलते समय फोन का इस्तेमाल न करें।
  • कभी भी रॉन्ग साइड में गाड़ी न चलाएं।

कार चलाते समय करें ये फॉलो

  • कार चलाते समय सीट बेल्ट जरूर पहनें।
  • गाड़ी चलाते हुए पूरा ध्यान रोड पर रखें।
  • तेज गति से वाहन चलाने से बचें।
  • वाहन का ठीक से रखरखाव करें।

बाइक के लिए सड़क सुरक्षा नियम

  • दोपहिया चलाते समय हमेशा हेलमेट पहनें।
  • दो लेन के बीच में बाइक चलाने से बचें।
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