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क्‍या है लाखों रुपये के Discount Offers की सच्‍चाई, ग्राहक या कंपनी किसे होगा असली फायदा, पढ़ें पूरी खबर

भारतीय बाजार में Festive Season के शुरू होते ही Maruti Hyundai Tata Mahindra Honda Hero Moto Corp TVS Bajaj OLA Ather जैसे वाहन निर्माताओं की ओर से अपनी कार बाइक्‍स इलेक्ट्रिक वाहनों पर आकर्षक ऑफर्स दिए जाते हैं। क्‍या Discount Offers से ग्राहकों को फायदा मिलता है या फिर कंपनी और डीलर्स को ऐसे ऑफर्स से फायदा पहुंचता है। आइए जानते हैं।

By Sameer Goel Edited By: Sameer Goel Updated: Tue, 15 Oct 2024 08:29 AM (IST)
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फेस्टिव सीजन के दौरान मिलने वाले डिस्‍काउंट ऑफर्स का असली फायदा किसे होता है। आइए जानते हैं।

ऑटो डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारत में वाहन निर्माताओं की ओर से Festive Season के दौरान अधिकतर उत्‍पादों पर आकर्षक ऑफर्स को दिया जाता है। इन Discount Offers से ग्राहक भी वाहनों को खरीदते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इस तरह के ऑफर्स का असली फायदा ग्राहकों को मिलता है या फिर फायदे में वाहन निर्माता और डीलर्स रहते हैं। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।

मिलते हैं ऑफर्स

नवरात्र, दशहरा और दिवाली के समय वाहन निर्माता अक्‍सर अपने उत्‍पादों पर हजारों से लेकर लाखों रुपये तक के Discount Offers देते हैं। इनमें Cash Discount, Exchange Bonus, Corporate Discount, Loyalty Bonus, Discount on Accessories जैसे शब्‍दों का उपयाग किया जाता है। जिसके बाद कार, बाइक, स्‍कूटर की कीमत काफी कम लगने लगती है।

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किसे मिलता है फायदा

इस तरह के ऑफर्स का सबसे ज्‍यादा फायदा ग्राहक, वाहन निर्माता और डीलर्स को तो इसका फायदा मिलता ही है। साथ ही राज्‍य और केंद्र सरकार को भी इसका बड़ा फायदा मिलता है।

ग्राहक को क्‍या फायदा

कंपनियों की ओर से जब अपने उत्‍पाद पर किसी भी तरह का डिस्‍काउंट ऑफर नहीं किया जाता है। तब उसे खरीदने पर पूरी कीमत देनी पड़ती है। लेकिन अगर फेस्टिव सीजन के दौरान ऐसे वाहन पर डिस्‍काउंट मिलता है तो ग्राहक को उसे खरीदने के लिए कम पैसे देने पड़ते हैं।

कंपनी को कैसे होता है फायदा

ग्राहकों के साथ ही कंपनी को भी इसका बड़ा फायदा मिलता है। वाहन निर्माता फेस्टिव सीजन को ध्‍यान में रखते हुए बड़ी संख्‍या में वाहनों का निर्माण करते हैं। जिसमें पूंजी का बड़ा हिस्‍सा लगता है और उनके पास हजारों-लाखों यूनिट्स का स्‍टॉक बच जाता है। फेस्टिव सीजन साल के आखिरी महीनों में होता है और अगर तब तक इनवेंटरी को खत्‍म नहीं किया जाता तो कंपनियों को नया साल शुरू होने पर नुकसान होने का खतरा होता है। इसलिए निर्माताओं की कोशिश रहती है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा इनवेंटरी को खत्‍म किया जाए। इसके लिए कुछ खास वेरिंएट-मॉडल्‍स पर ज्‍यादा और ज्‍यादा मांग वाले वेरिएंट्स और मॉडल्‍स पर कम ऑफर दिए जाते हैं।

डीलर्स को भी होता है फायदा

देश में सभी निर्माताओं की ओर से वाहनों की बिक्री खुद नहीं की जाती। डीलरशिप के जरिए ही बिक्री को किया जाता है। ऐसे में कंपनी वाहन बनाने के बाद डीलर्स को भेजती है। लेकिन अगर किसी ग्राहक की ओर से बुकिंग करवाने के बाद उसे कैसिंल किया जाता है तो डीलर के पास वह यूनिट बची रह जाती है। क्‍योंकि वह किसी मॉडल का खास वेरिएंट होता है जिसे खास रंग में ऑर्डर किया जाता है। ऐसे में कई बार उसकी मांग कम होती है। तब डीलर के पैसे भी फंसने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे वाहनों पर कई बार डीलर कंपनी की ओर से दिए जाने वाले ऑफर से ज्‍यादा डिस्‍काउंट देते हैं।

सरकार को भी मिलता है फायदा

फेस्टिव सीजन के दौरान बड़ी संख्‍या में वाहनों की बिक्री होती है। सभी वाहनों पर सरकार की ओर से टैक्‍स के तौर पर बड़ा अमाउंट लिया जाता है। जीएसटी, सेस, रजिस्‍ट्रेशन टैक्‍स, इंश्‍योरेंस पर टैक्‍स से सरकार को भी 30 से 50 दिनों के बीच टैक्‍स के तौर पर काफी ज्‍यादा रुपये मिलते हैं।

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