Tyres Buying Tips: नया टायर खरीदते वक्त भूलकर भी न करें ये मिस्टेक, सेफ्टी के लिए ध्यान रखना जरूरी
जिस तरह किसी भी चीज की लंबी लाइफ के लिए उसका ढंग से रखरखाव करना जरूरी होता है। ठीक वैसे ही टायरों की देखभाल भी बहुत जरूरी है। टायरों के लिए एक निश्चित लाइफ निर्धारित की जाती है। हर पांच से छह साल में टायर बदलने की सलाह दी जाती है भले ही उनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल न किया गया हो।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी वाहन के लिए जितना जरूरी उसका इंजन, डिजाइन और फीचर्स होते हैं, उससे कहीं ज्यादा मायने रखता है कि वाहन में टायर कैसे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। वाहन के परफॉर्मेंस को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए जरूरी है कि गाड़ी या बाइक में अच्छी क्वालिटी के टायर हों।
लेकिन, अक्सर होता है कि बहुत से लोग टायरों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं। जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है। यहां बताने वाले हैं कि नए टायर खरीदते वक्त क्या मिस्टेक भूलकर भी नहीं करनी चाहिए और किन चीजों का इस दौरान खास ख्याल रखना चाहिए।
टायर की लाइफ और रखरखाव
जिस तरह किसी भी चीज की लंबी लाइफ के लिए उसका ढंग से रखरखाव करना जरूरी होता है। ठीक वैसे ही टायरों की देखभाल भी बहुत जरूरी है। टायरों के लिए एक निश्चित लाइफ निर्धारित की जाती है। हर पांच से छह साल में टायर बदलने की सलाह दी जाती है, भले ही उनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल न किया गया हो।समय के साथ टायरों में दरारें पड़ सकती हैं और रबर कंपाउंड सख्त हो जाता है। इसलिए टायर खरीदते वक्त जरूर पता करें कि उसकी लाइफ कितनी है और देखभाल के लिए क्या करना होता है।
कॉन्टेक्ट पिच और टायर की चौड़ाई चेक करें
नया टायर खरीदते वक्त कॉन्टेक्ट पिच और टायर की चौड़ाई को अच्छी तरह से चेक करना बहुत जरूरी होता है। कॉन्टेक पिच उसे कहा जाता है जो टायर के नीचे वाला सर्फेस होता है। वही डिसाइड करता है कि सड़क और टायरों के बीच संपर्क कैसा होगा। वहीं, टायर की चौड़ाई भी खरीदारी के वक्त बहुत मायने रखती है।
ध्यान रखें कि चौड़े टायर ग्रिप, कॉर्नरिंग और ब्रेकिंग को बेहतर बनाते हैं लेकिन रोलिंग प्रतिरोध को भी बढ़ाते हैं, जो फ्यूल एफिशिएंसी को प्रभावित करता है।