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आपकी कार पर भी है हैकर्स की नजर, लगातार बढ़ता साइबर सिक्योरिटी का खतरा आपके लिए पड़ न जाए भारी

Cyber Security in Vehicles आधुनिक वाहनों में साइबर थ्रेट्स का खतरा सॉफ्टवेयर कोड की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ता है। ऐसे में अपनी कार को चोरों के साथ-साथ साइबर हमलों से बचाना आपके लिए बड़ी चुनौती है। साइबर हमलों की मदद से कार की स्टीयरिंग ब्रेकिंग और इंफोटेनमेंट सिस्टम के साथ-साथ घरेलू ईवी चार्जिंग को निशाना बनाया जा सकता है।

By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Mon, 07 Aug 2023 08:00 PM (IST)
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ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपने वाहनों के लिए साइबर सिक्योरिटी को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। लगातार बढ़ रही तकनीक के साथ सुरक्षा में सेंध लगने का खतरा भी पनप रहा है। मौजूदा समय में इस समस्या का सामना ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी करना पड़ रहा है। कार निर्माता बहुत समय तक R&D और लगन से काम करके किसी भी प्रोडक्ट को अपने ग्राहकों के बीच पेश करती है और वो उत्पाद बिना किसी समस्या से पूरी तरह काम कर पाता है।

ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपने वाहनों के लिए साइबर सिक्योरिटी को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। इस तरह साइबर सुरक्षा में विशेषज्ञता वाली ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी कंपनियां साइबर खतरों से उत्पन्न दिक्कतों और उनके कारण होने वाले संभावित नुकसान के बारे में ओईएम के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही हैं। आइए, जानते हैं कि क्या सच में आपके वाहन के लिए साइबर सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है?

कारों में साइबर सिक्योरिटी का खतरा?

एक रिपोर्ट के मुताबिक आधुनिक वाहनों में साइबर थ्रेट्स का खतरा सॉफ्टवेयर कोड की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ता है। ये कॉमप्लेक्स कोड धीरे-धीरे जमा होते रहते हैं और इन कोड्स की प्रचुरता(abundance) साइबर हमलों के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करती है।

ये समझना महत्वपूर्ण है कि साइबर हमले न केवल वाहन के सिस्टम में घुसपैठ कर सकते हैं, बल्कि बैकएंड और थर्ड-पार्टी सर्वर तक भी पहुंच सकते हैं। ये हमले केवल वाहन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ऑटोमोटिव ईकोसिस्टम में विभिन्न परस्पर जुड़े कंपोनेंट्स और सिस्टम तक फैल सकते हैं।

Electric Vehicle को ज्यादा खतरा

रैंसमवेयर हमले वाहन के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। इनकी मदद से कार की स्टीयरिंग, ब्रेकिंग और इंफोटेनमेंट सिस्टम के साथ-साथ घरेलू ईवी चार्जिंग को निशाना बनाया जा सकता है। बिना चाबी कंट्रोल सिस्टम की शुरूआत ने हैकिंग को वाहनों पर साइबर हमलों का एक सामान्य उदाहरण बना दिया है।

एक जानकार का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरी-मैनेजमेंट-सिस्टम पर निर्भरता के कारण ईवी विशेष रूप से साइबर हमलों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं। उदाहरण के लिए, जब ईवी को सार्वजनिक चार्जर से जोड़ा जाता है, तो न केवल ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है, बल्कि सॉफ्टवेयर का भी आदान-प्रदान होता है, जिससे हैकर्स के लिए घुसपैठ करना आसान हो जाता है।

पुरानी कारें कितनी सेफ?

पुरानी कारों के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि डाटा या तो कार में ही या क्लाउड पर संग्रहीत होता है। अक्सर, OEM या थर्ड-पार्टी सर्वर के पास इस डेटा तक पहुंच होती है। आजकल, निर्माता वाहनों को दोबारा बाजार में बेचने से पहले पिछले यूजर के डिजिटल निशानों को हटाना सुनिश्चित कर रहे हैं। भविष्य में सेकेंड-हैंड कारों की बिक्री के लिए दिशानिर्देश स्थापित करने की आवश्यकता हो सकती है और इससे एक व्यावसायिक चुनौती पैदा हो सकती है कि इन दिशानिर्देशों को लागू करने की लागत किसे वहन करनी चाहिए - ग्राहक, डीलरशिप, या फिर कार निर्माता।

साइबर हमले से कैसे बचेगी कार?

ऐसे में कार निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वाहन का इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम मजबूत हो और वाहन के जीवन की हर स्टेप में साइबर सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा जाएं। उन्हें पूरी प्रक्रिया के दौरान व्यापक साइबर-थ्रेट मैनेजमेंट लागू करना चाहिए।

ऑटोमोटिव उद्योग को कनेक्टिविटी फीचर्स में निवेश करते समय सॉफ्टवेयर लागत को संतुलित करने के कार्य का सामना करना पड़ेगा। इस चुनौती से निपटने के लिए उद्योग हितधारकों, सरकारी संस्थाओं और निजी प्लेयर्स के बीच सहयोग की आवश्यकता है।

जैसे-जैसे ऑटोमोबाइल बाजार बढ़ता जा रहा है, भविष्य में साइबर सुरक्षा आवश्यक और अपरिहार्य हो जाएगी। इससे विभिन्न OEMs के बीच सहयोग और नई व्यावसायिक पेशकश के अवसर खुलेंगे। हालांकि, लागत-प्रभावशीलता एक चिंता का विषय हो सकती है। इसके लिए सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्रदाता किफायती समाधान विकसित कर सकते हैं।