Flex-Fuel Vehicles कैसे करते हैं काम? जानिए इनके नफा-नुकसान
Flex-Fuel Vehicles 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत बायो-इथेनॉल और उनके मिश्रणों के संयोजन पर चलने में सक्षम होते हैं। ये इंजन फ्यूल पंप और फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम को एडजस्ट करने के लिए इथेनॉल-कॉम्पेटिवल कंपोनेंट्स का उपयोग करते हैं। फ्लेक्स-फ्यूल इंजन फ्यूल मिक्स सेंसर और इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ECM) प्रोग्रामिंग से लैस होते हैं। ये मिश्रित ईंधन के किसी भी अनुपात को समायोजित कर सकते हैं।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। फ्लेक्सी-फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FFV-SHEV) भविष्य में बड़ा रोल प्ले करने वाले हैं। केंद्रीय मंत्री Nitin Gadkari ने पिछले साल अक्टूबर में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन वाली भारत की पहली कार पेश की थी। आइए जान लेते हैं कि इस तरह के इंजन किस तरह काम करते हैं और इनके क्या फायदे हैं?
फ्लेक्स फ्यूल क्या होते हैं?
फ्लेक्स फ्यूल वाहन 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत बायो-इथेनॉल और उनके मिश्रणों के संयोजन पर चलने में सक्षम होते हैं। ये मूल रूप से एक फ्लेक्सिबल फ्यूल होता है, जो वाहन के आंतरिक दहन इंजन (ICE) के साथ संगत है। यह पेट्रोल या डीजल के साथ-साथ ईंधन के मिश्रण पर भी चलता है। एमीशन की बात करें, तो नॉर्मल पेट्रोल और डीजल इंजन के मुकाबले ये कम पॉल्यूशन करते हैं।
यह भी पढ़ें- 2024 Kia Carnival की पहली झलक आई सामने, इन अपडेट के साथ इंडियन मार्केट में जल्द मारेगी एंट्री
कैसे काम करते हैं फ्लेक्स फ्यूल इंजन?
फ्लेक्स-फ्यूल इंजन फ्यूल मिक्स सेंसर और इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ECM) प्रोग्रामिंग से लैस होते हैं। ये मिश्रित ईंधन के किसी भी अनुपात को समायोजित कर सकते हैं। ये इंजन फ्यूल पंप और फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम को एडजस्ट करने के लिए इथेनॉल-कॉम्पेटिवल कंपोनेंट्स का उपयोग करते हैं।
देश की पहली फ्लेक्स-फ्यूल इंजन वाली कार
टोयोटा मोटर ने कोरोला एल्टिस में पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन लगाया था। केंद्र द्वारा गन्ने से प्राप्त ईंधन के मिश्रण को मंजूरी दिए जाने के बाद यह भारतीय सड़कों पर इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल पर चलने वाली पहली कार थी। आपको बता दें कि फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय संघ और चीन जैसे देशों में काफी पॉपुलर हैं।