तिरछी क्यों डिजाइन की जाती है कार की विंडस्क्रीन, जानिए क्या है इसकी अहमियत
Car Windscreen आपने इसे जरूर गौर किया होगा कि कारो की विंडस्क्रीन तिरछी होती है और बसों की नहीं। क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण। चलिए आपको इसके पीछे के कारण को बताते हैं। (जागरण-फाइल फोटो)
By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi ChaturvediUpdated: Wed, 18 Jan 2023 04:51 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। अगर आप कार और बस दोनों से ट्रैवल करते हैं तो आपने इसे जरुर गौर किया होगा कि कारो की विंडस्क्रीन तिरछी होती है और बसों की नहीं। क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण । अगर आप सोच रहे होंगे कि कार ही नहीं बस की भी तो स्पीड अधिक होती है। इसके बावजूद भी बस की विंडशील्ड तिरछी क्यों नहीं होती है, चलिए आपको इसके पीछे के कारण से रूबरू कराते हैं।
aerodynamic
दरअसल बस के मुकाबले कारों की aerodynamic काफी अधिक होती है। आपको आसान शब्दों में बताएं तो तिरछी विंडशील्ड होने की वजह से यह हवा को बहुत ही आसानी से पास करने में अधिक सक्षम होती है। इसके कारण कार की स्पीड में कोई परेशानी नहीं आती है। इसको इसलिए बनाया जाता है ताकि इस पर कम दबाव हो और यह सुचारू रूप से चलने के बाद ये अधिक माइलेज दे सके। हालांकि बस को बनाते समय एयरोडायनेमिक्स के ऊपर अधिक ध्यान नहीं रखा जाता है।
दो तरह के होते हैं विंडशील्ड
आपको बता दे आमतौर पर गाड़ियों में दो तरह के विंडशील्ड का इस्तेमाल किया जाता है। बस और कार के आगे लगे शीशे तिरछे और फ्लैट हो सकते हैं। लेकिन उनकी क्वालिटी में कमी आने पर कई बार ड्राइवर को गाड़ी चलाने में परेशानी हो सकती है। ये धूल वगैरा को रोकने में काम आता है। इसको साफ रखना काफी जरुरी होता है। खासकर सर्दी के समय में इसे वाइपर से साफ करें। आमतौर पर विंडशील्ड लैमिनेटेड और टेम्पर्ड दो तरह के होते हैं।दोनों विंडशील्ड में क्या अंतर होता है
टेम्पर्ड के मुकाबले लैमिनेटेड विंडशील्ड को अधिक बेहतर माना जाता है। इसे बनाने के लिए दो शीशे का इस्तेमाल किया जाता है। बीच में प्लास्टिक होने के कारण दुर्घटना होने पर यह टूट कर बिखरते नहीं हैं। वहीं जो साधारण शीशे होते हैं वो टूट कर बिखर जाते हैं। दूसरी तरफ लैमिनेटेड को टूटने पर आप रिपेयरिंग भी करवा सकते हैं।