हकीकत या कहानी, बहुत दिलचस्प हैं कारों के ये किस्से
कारों से जुड़ी बहुत-सी कहानियां आपको रोमांचित करती हैं। ये सुने-अनसुने किस्से हमें गाड़ियों के बारे में और जानने को और उत्सुक करते हैं। स्टीयरिंग व्हील से लेकर क्रूज कंट्रोल सिस्टम के अविष्कार तक ऐसी ढेरों कहानियां हैं जो आपको रोमांचित करती हैं। (जागरण फोटो)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। सड़कों पर इन दिनों कारों के अलग-अलग डिजाइन और स्टाइल देखने को मिल रहा है। जो लोगों के दिलों में कार के क्रेज को बढ़ाता है। लेकिन क्या आपको कार से जुड़ी ये खास बातें पता है, जो हमें जानने को और उत्सुक करती है। सड़कों पर इन दिनों कार का नजारा काफी आम है। कारें पहले से काफी स्मार्ट, फीचर्स से लैस हो गई है। चलिए आपको कार से जुड़ी खास बातों के बारें में बताते हैं।
पहली इलेक्ट्रिक कार 190 साल पहले बनाई गई थी
दुनिया भर में इलेक्ट्रिक कार का चलन काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है और वाहन निर्माता कंपनियां भी इसपर काम काफी तेजी से कर रही है। लेकिन क्या आपको पता है इसका इस्तेमाल 190 साल पहले ही हो गया था। जी हां, प्रसिद्ध मर्सिडीज मोटरवेगन से पहले पहला इलेक्ट्रिक वाहन अस्तित्व में आया था।
रॉबर्ट एंडरसन नाम के एक स्कॉटिश आविष्कारक को 1832 में पहला इलेक्ट्रिक वाहन बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इस कार को चलाने के लिए गैर-रिचार्जेबल सेल और एक इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल किया था। इनका ये प्रयास लेड-एसिड बैटरी के आविष्कार से भी पहले का है।
क्रूज कंट्रोल का आविष्कार करने वाला व्यक्ति दृष्टिहीन था
आपको ये जानकर काफी हैरानी होगी कि जिस क्रूज कंट्रोल फीचर का इस्तेमाल आप अपनी कार में करते हैं उसका आविष्कार एक अंधे व्यक्ति ने किया था। उन्होंने 1950 में प्रौद्योगिकी के लिए पेटेंट प्राप्त किया और इसे स्पीडोस्टैट कहा। लेकिन कुछ सालों बाद कैडिलैक ने अपनी कार में डिवाइस का उपयोग करना शुरू किया और इसे नाम क्रूज़ कंट्रोल का दे दिया गया। इसमें सबसे खास बात ये है कि इसे एक अंधे व्यक्ति में पेश किया था।
1896 अर्नोल बेंज कैरिज
आपके मन में भी सड़क के स्पीड को लेकर कई सवाल आते होंगे की आखिर ये आया कैसे और कैसे एक निर्धारित सीमा तय की गई थी। 1896 में वाल्टर अर्नोल्ड नाम के एक व्यक्ति ने अपनी अर्नोल्ड बेंज गाड़ी को 13 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलाने के लिए सबसे पहले तेज स्पीड प्राप्त करने का टिकट जारी किया गया था। उस समय स्पीड 3.2 किमी प्रति घंटा हुई करती थी। इसके बाद हाईवे अधिनियम 1896 पर लोकोमोटिव के आदेश को हटा दिया और स्पीड सीमा को 23 किमी प्रति घंटे तक बढ़ा दिया।
1894 से पहले स्टीयरिंग व्हील्स का इस्तेमाल नहीं होता था
1894 से पहले स्टीयरिंग व्हील्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। एक समय था जब कारों में गोल स्टीयरिंग व्हील नहीं होते थे जैसा कि हम नियमित रूप से देखते आए हैं। इसके अलावा, लीवर का इस्तेमाल करके वाहनों को मोड़ दिया जाता था। आपको बता दे 1894 में पेरिस-रूएन दौड़ में प्रवेश करने पर अल्फ्रेड वचेरन अपने पैनहार्ड पर एक गोल स्टीयरिंग व्हील के साथ देखे गए पहले व्यक्ति थे और ये इतना सफल था तब से ही कार में स्टीयरिंग व्हील का इस्तेमाल किया जाता है।
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