20वीं सदी में फ्रांस से हुई शुरुआत, फिर हैचबैक बनी सबकी फेवरेट कार... इतना क्यों है लगाव
हैचबैक का बाजार इंडियन मार्केट में बेतहाशा कल्पनाओं से कहीं आगे फैला हुआ है। इसका बाजार काफी बड़ा है और इसकी लोकप्रियता का भी कोई ठिकाना नहीं है। चलिए आपको बताते हैं इसकी शुरुआत कब से हुई। (जागरण फोटो)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में इस समय कई सेगमेंट की कारें मौजूद है, जिसके कारण अपने लिए कार चुनना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपके दिमाग में कई सवाल आते हैं, जैसे किस सेगमेंट की कार को खरीदें? कौन-सी कार हमारी फैमली के लिए बढ़िया होगी- लग्जरी, सेडान, कॉम्पैक्ट, हैचबैक या बड़ी SUV। कौन-सी कार वास्तव में आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी? कौन-सा ट्रंक स्टाइल आपकी जीवनशैली के अनुकूल होगा?
भारत में हैचबैक को एक तरह से हम अनौपचारिक विजेता कह सकते हैं।और हो भी क्यों न... हमारी भागदौड़ भरी जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए हमें एक कॉम्पैक्ट हैचबैक की जरूरत होती है, जो शहर की सड़कों पर नेविगेट कर सके, छोटी पार्किंग वाली जगह पर आराम से सिमट जाए और उसका डिजाइन भी अच्छा हो, दिखने में भी बड़ी लगे। कहीं न कहीं इसी कारण भारतीयों की पसंद बन गई हैचबैक। चलिए आपको हैचबैक से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं।
लोकप्रियता का शिखर पर
हैचबैक का बाजार बहुत फैला हुआ है। 1983 में मारुति 800 का अनावरण हुआ, जिसके बाद से ही ये कार लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई एक तरह से कहें तो ये हाथों हाथ बिकने लगी। आपको बता दें, मारुति 800 के आने के बाद से वाहन निर्माता कंपनी मारुति ने इस हैचबैक की लगभग 25 लाख यूनिट्स की सेल की, जिसके कारण आज भी हैचबैक भारत की पसंदीदा कार है।
बाजार के हिसाब से तुलना करें तो भारत में सेडान और एसयूवी की तुलना में हैचबैक की अधिक मांग है। आजकल हैचबैक कारें हर शेप और साइज में आती हैं। इसके कारण वर्तमान में हमारे पास एक बेस्ट हैचबैक को सलेक्ट करने का कई ऑप्शन मौजूद है। एक तरह से कहें तो इसकी एक प्रभावशाली श्रृंखला है।
क्या है हैचबैक?
हैचबैक में एक ऊपर की ओर दरवाजा होता है जो कार-टॉप पर टिका होता है। इसका पिछला दरवाजा कार के कार्गो वाले एरिया में खुलता है। इसके अलावा, अगर आपको अपने समान को रखने के लिए अधिक जगह की जरूरत है तो पीछे की सीटों को फोल्ड भी कर सकते हैं। एक हैचबैक में एक सेडान की तुलना में बहुत अधिक समान को रख सकते हैं। इंडियन मार्केट में हमें माइक्रो, मीडियम और कॉम्पैक्ट हैचबैक मिलती है। वो 3-डोर या 5-डोर मॉडल में भी आती है।
अधिकांश वाहन निर्माता कंपनियां हैचबैक को पेट्रोल और डीजल वेरिएंट में कारों को लॉन्च कर रही है। यहां तक की अब जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे ही देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन भी काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है। अब हाइब्रिड कारों का चलन भी बढ़ रहा है और अब हैचबैक कारें ईवी और हाइब्रिड दोनों ऑप्शन में आती हैं।
हैचबैक कारों का इतिहास
20वीं सदी में फ्रांस में हैचबैक कारों का आगमन शुरू हुआ। फिर दुनिया भर के बड़े ऑटो वाहन निर्माता कंपनियों में हैचबैक के उत्पादन की होड़ शुरू हो गई। जल्द ही एस्टन मार्टिन, रेनॉल्ट, फोर्ड और निसान जैसी कंपनियां हैचबैक डिजाइन करने लगीं।
मारुति 800 भारत में लॉन्च की गई पहली हैचबैक थी। 1983 में इसके जारी होने के तुरंत बाद Tata जैसे स्वदेशी वाहन निर्माता कंपनी और Hyundai जैसी विदेशी कंपनियों ने अपनी हैचबैक उतारी। 2020 में Maruti Suzuki की Swift, Wagon R और Alto 800, Tata Tiago, Hyundai Grand i10 NIOS जैसी हैचबैक कारों के साथ कई बेहतरीन कारें बनने लगीं।
हैचबैक से भारत में क्यों इतना लगाव
इन दिनों हैचबैक कारें अपना डंका बजा रही हैं। इसके पीछे का कारण शानदार डिजाइन, कॉम्पैक्ट फ्रेम , किफायती होना और ड्राइव करने में आसानी है। ये कभी भी नए फीचर्स को अपनाने में पीछे नहीं रहती हैं जिसके कारण इन्हें अधिक पसंद किया जाता है। बड़ी वाहन निर्माता कंपनियां अत्याधुनिक इंजीनियरिंग के साथ हैचबैक लॉन्च करती हैं। सबसे बुनियादी हैचबैक मॉडल बेहद सस्ते हैं। इसे हर कोई आसान कीमतों में खरीद सकता है। हैचबैक की छतें ऊंची होती हैं। इसलिए लंबे यात्री भी आराम से बैठ सकते हैं।
हैचबैक छोटी होती हैं, जिसके कारण ये आराम से तंग गलियों से बिना परेशानी के बाहर आ सकती है। इसके अलावा, आपको इस छोटे वाहन के लिए पार्किंग की जगह खोजने के लिए अधिक परेशान भी नहीं होना पड़ता। जब सुरक्षा सुविधाओं की बात आती है, तो हैचबैक में वह सब कुछ होता है, जो एक सेडान में होता है।
हैचबैक कारों में सेडान की तुलना में अधिक ग्लास होते है, इसका मतलब ड्राइवर के लिए बेहतर विजिबिलिटी होती है। हैचबैक शानदार ईंधन दक्षता प्रदान करती है। तेल की बढ़ती कीमतों के कारण इसे चलाने में अधिक खर्च नहीं उठाना पड़ता है।
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