दिल्ली सरकार ने Electric Vehicle Policy को 31 मार्च 2024 तक बढ़ाया, ग्राहकों को मिलता रहेगा सब्सिडी का लाभ
Delhi EV Policy मूल रूप से 8 अगस्त 2023 को समाप्त हो गई और तब से इसे बार-बार विस्तार मिला है। फिलहाल दिल्ली सरकार कथित तौर पर नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति पर काम कर रही है लेकिन यह कब लागू होगी यह अभी तय नहीं हुआ है। आपको बता दें कि इस नीति को अगस्त 2020 में अधिसूचित किया गया था।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने अपनी Electric Vehicle Policy को अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। ये 31 दिसंबर 2023 को समाप्त होने वाली थी। नए साल पर सरकार ने जानकारी दी है कि दिल्ली ईवी नीति को अब 31 मार्च 2024 तक बढ़ाने का इरादा है।
यह कदम उन कस्टमर्स के लिए बहुप्रतीक्षित राहत लाएगा, जो दिल्ली-एनसीआर में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का इरादा रखते हैं और साथ ही ईवी उद्योग के अन्य हितधारकों के लिए भी ये फायदेमंद होने वाला है।
31 मार्च 2024 तक बढ़ी सब्सिडी
समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार की कैबिनेट दिल्ली ईवी नीति को 31 मार्च 2024 तक बढ़ाने के लिए अपनी मंजूरी देगी। नीति को अगस्त 2020 में अधिसूचित किया गया था। इसकी घोषणा राष्ट्रीय राजधानी में 2024 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।
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8 अगस्त 2023 को हो रही थी समाप्त
Delhi EV Policy मूल रूप से 8 अगस्त 2023 को समाप्त हो गई और तब से इसे बार-बार विस्तार मिला है। फिलहाल, दिल्ली सरकार कथित तौर पर नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति पर काम कर रही है, लेकिन यह कब लागू होगी यह अभी तय नहीं हुआ है। जैसा कि लगता है, दिल्ली सरकार नई नीति लागू होने तक वर्तमान ईवी नीति का विस्तार जारी रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
इससे पहले, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा था कि Delhi EV Policy 2.0 में वाहनों की उच्च लागत को देखते हुए रेट्रोफिटिंग को प्रोत्साहित करने पर विचार किया जाएगा। यह ईवी खरीदारों को अपने मौजूदा पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को Electric Vehicles में बदलने में सक्षम करेगा, जो उन्हें एक नया ईवी खरीदने की तुलना में काफी कम लागत पर इलेक्ट्रिक गतिशीलता में स्थानांतरित करने की अनुमति देगा।
मंत्री ने कहा कि एक सामान्य पेट्रोल से चलने वाली मारुति सुजुकी जिप्सी को ईवी में बदलने में लगभग 5 लाख से 6 लाख रुपये लगते हैं, जो कि काफी अधिक है। गहलोत ने संकेत दिया कि दिल्ली ईवी नीति 2.0 की सहायता से उपभोक्ताओं के लिए लागत काफी कम होगी।
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