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जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में मिले लिथियम के भंडार से EV इंडस्ट्री का होगा कायाकल्प, खत्म होगी चीन पर निर्भरता

इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे महत्वपूर्ण घटक लिथियम बैटरी ही होता है। देश में हुई लिथियम भंडार की खोज भारत को लिथियम की तेजी से बढ़ती वैश्विक कीमतों से बचा सकता है। हालांकि लिथियम के इतने बड़े जखीरे को एक झटके में रिफाइन करना संभव नहीं है। (फाइल फोटो)।

By Rammohan MishraEdited By: Rammohan MishraUpdated: Wed, 10 May 2023 07:40 PM (IST)
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discovery of large lithium reserves will boost the EV industry in India

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर लगातार विकास की ओर है। इसी बीच बीते दिनों सबसे बड़ी खबर सामने आई। भारत को ईवी इंडस्ट्री में अपना परचम लहराने के लिए प्रकृति की तरफ से बड़ा उपहार मिला है। जम्मू और कश्मीर में पाए जाने वाले अनुमानित 5.9 मिलियन टन लिथियम के साथ, हाल ही में राजस्थान के डेगाना में भी लिथियम के भंडार का पता लगा है।

इसके रिफाइन होने के बाद केवल राजस्थान, जम्मू और कश्मीर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की अर्थव्यवस्था को एक बूस्ट मिलेगा। देश के अंदर लिथियम की भारी मात्रा में हुई खोज किस तरह भारत की EV इंडस्ट्री का कायाकल्प करने जा रही है, आइए विस्तार से जानते हैं।

खत्म होगी चीन पर निर्भरता

मौजूदा समय में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। देश वर्तमान में अपनी तेल की जरूरतों का 80 प्रतिशत हिस्सा अन्य देशों से खरीदता है। इसकी वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है। इतनी बड़ी मात्रा में मिले लिथियम भंडार को विकसित करके, भारत आयातित तेल पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है और विदेशी मुद्रा में अरबों डॉलर बचा सकता है।

वहीं, दूसरी ओर तेल के अलावा भारत इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माण को लेकर भी विशेषकर चीन पर आश्रित है। भारत अपनी लिथियम जरूरतों को चीन से आयात करके पूरा करता है। ऐसे में देश के लिए ये स्वर्णिम मौका है जब वो अन्य देशों से निर्भरता कम कर सकता है।

EV इंडस्ट्री का होगा कायाकल्प

इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे महत्वपूर्ण घटक लिथियम बैटरी ही होता है। देश में हुई लिथियम भंडार की खोज भारत को लिथियम की तेजी से बढ़ती वैश्विक कीमतों से बचा सकता है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन तेजी से किया जा सकेगा।

अभी तक हम लिथियम के लिए विदेशी बाजार पर निर्भर थे, अब देश में मौजूद पर्याप्त लिथियम की मदद से इलेक्ट्रिक कारों की लागत भी घटेगी। इसका सीधा लाभ ग्राहकों को कार की कीमतों में मिलेगा। जैसे-जैसे इसका संचय होता रहेगा, भारतीय ईवी निर्माता कंपनियां घरेलू बाजार से लेकर विदेश तक अपनी कारों का सेल कर सकेंगी।

रोजगार के खुलेंगे अवसर

लिथियम के इतने बड़े जखीरे को रातों-रात तो रिफाइन करना संभव नहीं है। यह एक लंबी प्रक्रिया होगी, जिसमें अनेकों रोजगार के अवसर भी खुलने वाले हैं। भारी मात्रा में उपलब्ध इस लिथियम को काम में लाने के लिए कौशल और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है।

इसे स्वदेशी रूप से विकसित करके कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार का अवसर प्रदान किया जा सकता है। इसके अलावा, लिथियम भंडार का विकास विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को भी आकर्षित करेगा, जो देश के आर्थिक विकास को और बढ़ावा देगा।

प्रदूषण से मिलेगी निजात

देश में लगातार बढ़ रहे कल-कारखानों और पेट्रोल व इंजन वाहनों के सड़क पर दौड़ने से प्रदूषण बढ़ रहा है। शहरी इलाकों में तो लोगों को सांस लेना दूबर हो रहा है। हालांकि केंद्र व राज्य की सरकारें इसको लेकर काफी सख्त हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के ज्यादा संख्या में आ जाने के बाद लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।

लिथियम भंडार के विकास से देश को जीरो क्लाइमेट लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। भारत दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है और इसके कार्बन फुटप्रिंट को कम करना देश के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है।

चूना-पत्थर की तलाश में हाथ लग गया 'सोना'

खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने आधिकारिक बयान में कहा है कि हम जम्मू और कश्मीर में चूना पत्थर की तलाश कर रहे थे। उन्होने बताया कि हम 5.9 मिलियन टन लिथियम की खोज करने के लिए भाग्यशाली रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर राजस्थान के डेगाना में भी लिथियम के भंडार का पता लगा है।

खनन के साथ-साथ भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अधिकारियों ने कहा कि भंडार हाल ही में जम्मू-कश्मीर में पाए गए लिथियम की तुलना में बड़ा है। अधिकारियों का मानना है कि यहां लिथियम की मात्रा देश की 80 फीसदी मांग को पूरा कर सकती है। हालांकि, अभी तक मिले भंडार की पूरी मात्रा का आकलन नहीं किया जा सका है।