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चीन को न बनने दें 'EV कालोनी' भारत , इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए लोगों को दे बढ़ावा

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत में EV को अपनाने को लेकर भारत में करने पड़ रहे चुनौतियों के बारे में कहा गया है। इसके साथ ही कहा गया है कि भारत में चीन को ईवी कॉलोनी नहीं बनने दें। आइए जानते हैं कि इसमें और क्या बताया गया है।

By Mrityunjay Chaudhary Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Fri, 06 Sep 2024 08:30 PM (IST)
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EV को अपनाने में भारत में करना पड़ रहा चुनौतियों सामना।

नई दिल्ली, पीटीआई। सरकार को घरेलू इलेक्टि्रक वाहन (ईवी) क्षेत्र को स्वाभाविक रूप से बढ़ने देना चाहिए, क्योंकि इससे देश चीन के लिए 'ईवी कालोनी' बनने से बच जाएगा। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत को बड़े पैमाने पर ईवी को अपनाने में ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका सामना अन्य देशों को नहीं करना पड़ रहा है।

इन चुनौतियों का करना पड़ रहा सामना

इन चुनौतियों में कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न 80 प्रतिशत बिजली, बार-बार बिजली कटौती और देश में बैटरी और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे ईवी बनाने के लिए जरूरी घटकों के लिए आयात पर निर्भरता शामिल है। GTRI ने कहा कि इन चुनौतियों पर विचार करते हुए भारी प्रोत्साहनों के साथ मैदान में उतरने या चीनी आयात पर निर्भर होने के बजाय भारत के पास अपने ईवी क्षेत्र को स्वाभाविक रूप से विकसित होने देने का अवसर है। बाजार की ताकतों को क्षेत्र की वृद्धि को आगे बढ़ाने की अनुमति देकर, भारत चीन के लिए 'ईवी कालोनी' बनने से बच सकता है और वैश्विक ईवी परिदृश्य में अपना रास्ता बना सकता है।

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भारत बढ़ा रहा अपनी आसियान देशों में पकड़

शोध संस्थान ने कहा कि वैश्विक ईवी बाजार में भूचाल आ रहा है, इसकी वजह अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा द्वारा चीन से ईवी और उसके पुर्जों के आयात पर उच्च शुल्क और प्रतिबंध लगाना है। ये क्षेत्र चीन के वैश्विक ईवी निर्यात का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं और एक रणनीतिक मोड़ में, चीन अपना उत्पादन आसियान देशों में स्थानांतरित कर रहा है और भारत पर अपनी नजरें जमा रहा है।