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इलेक्ट्रिक गाड़ियों के खरीदार तो बहुत हैं लेकिन सामने आ जाती है ये अड़चन, कैसे निपटेगी ईवी इंडस्ट्री

ग्लोबल वार्मिंग एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके कारण लोग ईवी को खरीद रहे हैं। लेकिन इसके लिए भी कई बड़ी वाहन निर्माता कंपनियां काम कर रही है। जो बजट में लोगों के अनुकूल रहें और उसे खरीद पाएं। ( जागरण फोटो)

By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi ChaturvediUpdated: Thu, 19 Jan 2023 02:47 PM (IST)
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इलेक्ट्रिक गाड़ियों के खरीदार तो बहुत हैं लेकिन सामने आ जाती है ये अड़चन
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन का चलन काफी तेजी से दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पेट्रोल -डीजल की बढ़ती कीमत है। भारत अब दुनिया में शीर्ष तीन ऑटो बाजार में शामिल है। आपको बता दे पिछले साल भारत में 4 मिलियन से अधिक चार पहिये वाहन को बेचा गया है। जापान को पीछे छोड़ते हुए और चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए।

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके कारण लोग ईवी को खरीद रहे हैं। इसको लेकर सरकार भी अपनी ओर से तेजी से काम कर रही है। जिससे लोग इसे अपना सके और इसकी कीमत में कमी भी आ सके। भारतीय बाजार में ईवी की कीमत काफी अधिक है जिसे एक आम आदमी खरीदने में सोचता है, लेकिन इसके लिए भी कई बड़ी वाहन निर्माता कंपनियां काम कर रही है। जो बजट में लोगों के अनुकूल रहें और उसे खरीद पाएं।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी

अभी के समय में ईवी खरीदने के बाद सबसे बड़ी समस्या एक ये भी है कि भारत में अभी हर जगह वाहन को चार्ज करने के लिए ईवी स्टेशन मौजूद नहीं है जिसके कारण लोगों को कई परेशानी का सामना करना पड़ता है।  परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में परिवर्तन करके एक आशाजनक भविष्य देने की कोशिश भी की जा रही है। भारत उन गिने चुने देशों में से एक है, जो प्रदूषण रहित देश बनाने के अभियान में इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट कर रहा है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमत

आप इस बात से तो वाकिफ होंगे की भारत में इलेक्ट्रिक कार की कीमत पेट्रोल डीजल की कारों से अधिक है। भले ही सरकार इन पर रियाते देती है , लेकिन फिर भी पेट्रोल डीजल की गाड़ियों से इसकी कीमत अधिक है।

बैटरी की लाइफ

कार को खरीदने से पहले दिमाग में बैटरी की लाइफ भी आती है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में लिथियम आयन बैटरियों का इस्तेमाल किया जाता है। ये बैटरी  6 से 7 साल तक ही चल पाती हैं। इसके बाद आपको इन्हें बदलना पड़ता है। बैटरी की लाइफ कम होना मन में एक संशय पैदा करता है।  दरअसल एक बैटरी की कीमत किसी इलेक्ट्रिक गाड़ी से तीन से चार गुना बराबर है। हालाकिं सरकार ने पिछले साल प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना को सरकार एडवांस केमिस्ट्री सेल (एसीसी) के निर्माण के लिए लेकर आई थी, जिससे बैटरी की कीमत कम हो सके।

चार्जिंग स्टेशन की कमी

भारत में तेजी से ईवी का चलन तो बढ़ते जा रहा है। इसके साथ ही चार्जिंग स्टेशन की भारी कमी देखने को मिलती है। जिसके कारण लोगों को कई परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिस तरह हमें हर हाईवे या सड़क पर पेट्रोल पंप दिख जाते हैं उसके मुकाबले चार्जिंग स्टेशन बहुत ही कम जगहों पर देखने को मिलते हैं। चार्जिंग की समस्या के साथ एक ये भी सबसे बड़ी समस्या है कि कार को चार्ज करने में लगभग 1 से 2 घंटे का समय लगता है। ऐसे में ईवी को चार्ज करना किसी गाड़ी में पेट्रोल, डीजल या सीएनजी डलवाने कितनी तेजी से नहीं हो सकता है। इसके अलावा घर पर ईवी की बैटरी को चार्ज करने में भी अलग तरह की चुनौती है। गाड़ियों की रेंज से जुड़ी एक सबसे बड़ी समस्या में से एक है। अक्सर लंबी दूरी तक गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कम रेंज से परेशान होते दिखते हैं।

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