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100 साल से अधिक पुरानी है EV की कहानी, ऐसे हुई थी शुरुआत, कैसा होगा भविष्य...

जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण के खतरे बढ़ते गए इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार भी बढ़ता गया। बड़ी-बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियां इस बाजार में हैं। लोगों के बीच इनकी स्वीकार्यता भी बढ़ती जा रही है। देखना दिलचस्प होगा कि ईवी का भविष्य कैसा होगा।

By Ayushi ChaturvediEdited By: Updated: Sat, 26 Nov 2022 05:31 PM (IST)
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100 साल से अधिक पुरानी है EV की कहानी, ऐसे हुई थी शुरुआत
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। डीजल, पेट्रोल और सीएनजी गाड़ियों के दबदबे के बीच इलेक्ट्रिक गाड़ियां आखिरकार अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गईं। ईंधन की बढ़ती कीमतों और पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं के बीच इन गाडि़यों ने जल्द ही अपनी जगह बना ली है। पहली नजर में इलेक्ट्रिक वाहन एक नया कॉन्सेप्ट लगता है, लेकिन इनका इतिहास खास पुराना है। चलिए आपको बताते है कि इन गाड़ियों की शुरुआत कैसे हुई और इनका भविष्य क्या होगा?

दुनिया की बैटरी से चलने वाली पहली इलेक्ट्रिक मोटर सबसे पहले सन 1800 में बनाई गई थी। 1890 में विलियम मॉरिसन ने एक इलेक्ट्रिक कार बनाई थी। इसमें छह लोगों के बैठने की सुविधा थी। यह एक घंटे में 14 मील चल सकती थी। बाद में पोर्श कंपनी ने 1898 में पी1 नाम से अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च की। इसके बाद कई और ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने इस ओर कदम बढ़ाया। एक अधय्यन के अनुसार, अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में सन 1900 तक लगभग 60 इलेक्ट्रिक टैक्सियां थीं। धीरे-धीरे लोगों के बीच ऐसे वाहन लोकप्रिय होते गए। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण के खतरे बढ़ने शुरू हुए, इन गाड़ियों का बाजार भी बढ़ता गया। 

ईवी से कितना हुआ बदलाव

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए एक और बड़ी चुनौती थी- पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के बीच अपनी जगह बनाना। शुरुआत में लोगों के मन में ईवी को लेकर हिचक थी। ईवी की कीमत अधिक होने और चार्जिंग की समस्याओं के चलते लोग लंबे समय तक इनसे दूर रहे, लेकिन धीरे-धीरे इन गाड़ियों ने बाजार में जगह बना ली।

जानकार मानते हैं कि बढ़ते प्रदूषण के कारण  ईवी आने वाले दिनों में गेम चेंजर साबित होगा, क्योकि ईवी को अपनाना न केवल तेल आयात को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा, बल्कि इससे बढ़ते प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। 

क्या है ईवी का भविष्य 

भारत ही नहीं, मिडिल ईस्ट, नीदरलैंड, आयरलैंड और नॉर्वे सहित कई यूरोपीय देश अगले कुछ सालों में पैसेंजर लाइट ड्यूटी वाहनों और बसों के मामले में 100 फीसदी ईवी की ब्रिकी का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। भारत में भी इन गाड़ियों के विकास पर बल दिया जा रहा है। जिसका परिणाम है कि इन गाड़ियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। 

राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएमएमपी) और इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहनों की फेम-इंडिया (एफएएम इंडिया) जैसी पहल भी ईवी बाजार के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

आने वाले समय में भारत ईवी के मामले में 100 फीसद गाड़ियों वाला देश बन सकता है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए क्रेंद सरकार अपनी ओर से हर कदम उठा रही है। देश की बड़ी और स्टार्टअप कंपनिया भी इसमें तेजी से काम कर रही हैं। हाल के महीनों में हमने कई इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लॉन्चिंग देखी, अगले कुछ महीनों में कई नई गाड़ियां लॉन्च होंगी। 

क्या हैं ईवी के फायदे

भारत में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के साथ प्रदूषण भी आसमान छू रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को होता है क्योंकि ये वाहन किसी भी प्रकार का Pollution नहीं फैलाते। दूसरा, ये वाहन तेल पर नहीं चलते इसलिए इनका मेंटेनेंस काफी आसान होता है। इनसे ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होता, इनको चार्ज करने में बिजली भी कम लगती है और सबसे बड़ी बात, ये पेट्रोल की कीमत से 27 फीसदी कम खर्च पर चार्ज होते हैं। इसे आप अपने घर पर भी चार्ज कर सकते हैं। इसके लिए चार्जिंग स्टेशन पर जाने की भी जरूरत नहीं होती।

क्या है मुश्किलें

इलेक्ट्रिक वाहन भारत में धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहे हैं, लेकिन फिलहाल जो भी गाड़ियां लॉन्च हो रही हैं इनकी कीमत मिडिल क्लास लोगों के बजट में नहीं है, हालांकि आने वाले समय में कंपनियां ये कोशिश करेंगी कि बजट में ही कार बनाई जाए। अभी इसमें काफी समय लगेगा और कंपनियों तथा सरकार को इसके लिए काफी मेहनत भी करनी पडे़गी। इन गाड़ियों की बैटरी की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। लगभग एक साल में इसकी क्षमता 25 फीसदी कम हो जाती है। यही नहीं, इन गाड़ियों की बैटरी काफी मंहगी होती है। 

चार्जिंग में लगता है अधिक समय

जहां पेट्रोल और डीजल वाली कारों को पेट्रोल डीजल भरवाने में 5 मिनट या उससे भी कम का समय लगता है , वहीं इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने में 1 से 2 घंटे का समय लगता है। पेट्रोल और डीजल वाली कारों के लिए जगह-जगह पेट्रोल पंप लगे हुए हैं, पर इलेक्ट्रिक कारों के लिए अभी चार्जिंग स्टेशन बहुत ही कम हैं। यह सबसे बड़ी परेशानियों में से एक है। इलेक्ट्रिक कार में लिथियम बैटरी का इस्तेमाल होता है। इसकी माइलेज भी बैटरी की क्षमता पर निर्भर करती है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करने में 1 से 2 घंटे का समय लगता है और  एक बार फुल चार्ज होने पर वो औसतन 300 से 500 km तक की दूरी तय कर सकती है।

अगर आपको अधिक रेंज की कार चहिए तो उसी हिसाब से आपको अधिक पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। 

इन गाड़ियों का है दबदबा 

भारतीय बाजार में इन दिनों कई ब्रांड्स की गाड़ियां मौजूद हैं, जिनकी संख्या हर महीने बढ़ रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अब अपनी इलेक्ट्रिक कार उतार रही हैं। इसका सबूत हाल के दिनों में लॉन्च होने वाली गाड़ियां हैं। महिंद्रा XUV 400, टाटा टियागो ईवी, BYD Atto 3 ,टाटा टिगोर, महिंद्रा ई-वेरिटो, हुंडई कोना इलेक्ट्रिक, महिंद्रा ई2ओ ,एमजी ईजेडएस,निसान लीफ, ऑडी ई-ट्रोन,जगुआर आई-पेस, महिंद्रा केयूवी 100 इलेक्ट्रिक गाड़ियां हाल ही में लॉन्च हुई है। 

हाल के दिनों में कई कम बजट वाली ईवी भी लॉन्च हुई हैं। उम्मीद है कि यहां से किफायती कारों का रास्ता  खुलेगा।

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