Flex Fuel से चलने वाली कार बचा सकती है आपके हजारों रुपये, आसान भाषा में समझें पूरा गणित
Flex Fuel को पेट्रोल और डीजल जैसे इंधनों के सस्ते विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह एथनॉल और गैसोलीन को मिला कर बनाया जाता है और अलग-अलग रेशियों में आता है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला मिश्रण E85 फ्लैक्स ईंधन है।
By Sonali SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 09:44 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Flex Fuel: इन दिनों पेट्रोल और डीजल के बजाय फ्लेक्स फ्यूल (Flex Fuel) से चलने वाली गाड़ियों की खूब चर्चा हो रही है। कल ही परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश की पहली फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली कार को 28 सितंबर को पेश करने की बात कही है। साथ ही बताया कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये फ्लेक्स फ्यूल होती क्या है और यह पेट्रोल और डीजल जैसे मानक ईंधन से कैसे किफायती है?
पेट्रोल और डीजल की झंझट खत्म! 28 सितंबर को आ रही है भारत की पहली फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली कार
क्या होता है Flex Fuel?
वर्तमान में फ्लेक्स-फ्यूल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह एक आंतरिक दहन इंधन है जो गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के साथ मिलकर तैयार किया जाता है। इस तरह के इंधन से पेट्रोल का इस्तेमाल कम होगा और कोस्ट कटिंग में मदद मिलेगी। वहीं, फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली कारें बिना किसी दिक्कत के अपने मानक फ्यूल के अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती हैं।
मौजूदा समय में इथेनॉल का प्रयोग
मौजूदा समय में भारत में इस्तेमाल होने वाले इथेनॉल की बात करें तो 2014 तक देश में 1 से 1.5 प्रतिशत तक इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत तक कर दिया गया है।वहीं सरकार के प्लान के मुताबिक, देश में 2022 के अंत तक 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग और 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, बाद में इसे बदलकर 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य कर दिया गया है।
सबसे ज्यादा इस मिश्रण का होता इस्तेमाल
वैसे तो फ्लेक्स फ्यूल के रूप में बहुत से इंधनों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा जिस मिश्रण का इस्तेमाल होता है वह है E85 फ्लैक्स ईंधन। E85 एक गैसोलीन मिश्रण है जिसमें 85 प्रतिशत तक इथेनॉल मिला होता है। हालांकि, वास्तविक मिश्रण 51 प्रतिशत और 83 प्रतिशत के बीच होता है।