क्या Flex Fuel वाली गाड़ियां कर सकेंगी ऑटोमोबाइल बाजार पर कब्जा? जानें भारत में क्या है इनका भविष्य
Flex Fuel को पेट्रोल और डीजल के सस्ते विकल्प के रूप में देखा जाता है। यह एथनॉल और गैसोलीन का मिश्रण है जिसमें पेट्रोल की कम मात्र का इस्तेमाल होता है। भारत में हीरो और टोयोटा जैसी कंपनियां इस तरह की गाड़ियों को बना रही हैं।
By Sonali SinghEdited By: Updated: Fri, 07 Oct 2022 11:00 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Flex Fuel Car: पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से ऑटो बाजार में अलग-अलग सस्ते विकल्प खोजे जा रहे हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इनकी कीमत फिलहाल इतनी अधिक है कि आम लोगों के पहुंच से ये अभी बहुत दूर है। ऐसे में एक सस्ते विकल्प के तौर पर फ्लेक्स फ्यूल (Flex Fuel) से चलने वाली कारें सामने आती हैं।
पर सवाल उठता है कि आखिर ये फ्लेक्स फ्यूल होती क्या हैं और किफायती विकल्प के रूप में क्या यह पेट्रोल और डीजल जैसे मानक ईंधनों वाली कारों की जगह ले सकेंगी? तो चलिए आज हम इससे जुड़ी सारी जरूरी बातों के बारे में जानते हैं।
क्या होता है Flex Fuel?
फ्लेक्स-फ्यूल एक आंतरिक दहन इंधन है जिसे गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के साथ मिलाकर बनाया जाता है इसमें पेट्रोल की कम मात्र का इस्तेमाल होता है। हालांकि, यह सभी तरह के इंजन में इस्तेमाल नहीं की जा सकती है। वहीं, फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली कारें बिना किसी दिक्कत के अपने मानक फ्यूल के अलावा दूसरे ईंधन से भी चल सकती हैं। इससे इस तरह की कारें बहुत तरह की ईंधनों पर चल सकती है।
क्या बाजार पर जम सकता फ्लेक्स फ्यूल कारों का कब्जा?
वर्तमान में पेट्रोल की कीमत 97 रुपये से लेकर 100 रुपये तक है, जबकि डीजल 90 से 95 रुपये प्रति लीटर की दर से आता है। वहीं, इथेनॉल ईंधन की कीमत करीब 60 से 65 रुपये प्रति लीटर पड़ेगी। इस तरह फ्लेक्स फ्यूल के इस्तेमाल से आम आदमी 30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत कर सकेगा। अगर बड़े पैमाने पर देखें तो इस आंकड़े के आधार पर आप हर महीने 900 से 1000 रुपये तक बचा सकेंगे।ऐसे में इस बात के बहुत चांस हैं कि मिड रेंज के ग्राहक महीने के इस अतिरिक्त बोझ को कम करने के लिए फ्लेक्स फ्यूल वाली गाड़ियों की ओर रुख कर सकते हैं।