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मारुति के पूर्व MD जगदीश खट्टर का निधन, IAS से कार्नेशन ऑटो इंडिया तक का कुछ ऐसे तय किया था सफर

खट्टर को 1993 में पहली बार मारुति के मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में शामिल किया और 1999 में इन्होंने एमडी का पद संभाला। मारुति सुजुकी के साथ अपने कार्यकाल के लगभग 37 वर्षों के अनुभव के बाद इन्होंने अपनी खुद की कंपनी कार्नेशन ऑटो इंडिया की नींव रखी।

By BhavanaEdited By: Updated: Tue, 27 Apr 2021 08:25 AM (IST)
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जगदीश खट्टर 78 वर्ष के थे और ये 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग लिमिटेड के साथ जुड़े रहे।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Maruti Former MD Dies: मारुति सुजुकी के पूर्व एमडी जगदीश खट्टर का सोमवार यानी आज कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। जगदीश खट्टर 78 वर्ष के थे, और ये 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग लिमिटेड के साथ जुड़े रहे। इनके नेतृत्व में मारुति ने खूब लोकप्रियता हासिल की। खट्टर को 1993 में पहली बार मारुति के मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में शामिल किया और 1999 में इन्होंने एमडी का पद संभाला।

मारुति सुजुकी के साथ अपने कार्यकाल के लगभग 37 वर्षों के अनुभव के बाद इन्होंने अपनी खुद की कंपनी कार्नेशन ऑटो इंडिया की नींव रखी। जो सभी ब्रांड की इकलौती सेल्स एंड सर्विस कंपनी थी। खट्टर 2019 में एक विवाद में शामिल थे, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कार्नेशन ऑटो इंडिया द्वारा 110 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के लिए उन पर आरोप लागए। 

सीबीआई ने 7 अक्टूबर 2019 को पंजाब नेशनल बैंक द्वारा दर्ज एक शिकायत के आधार पर खट्टर और उनकी कंपनी के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से संबंधित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। हालांकि अपने ऊपर लगे आरोपों के जवाब में खट्टर ने कहा था, कि "कार्नेशन एक व्यवसायिक विफलता है। कोई गलत काम नहीं है।"  इस साल के शुरुआत में एक प्रमुख फॉरेंसिक ऑडिटर द्वारा विस्तार में फोरेंसिक ऑडिट किया गया था। जिसमें कुछ भी हासिल नहीं हुआ। जिसके बाद बैंक ने जांच को सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई ने इसकी जांच की है और उनके खिलाफ कुछ भी सुबूत नहीं मिले।

मारुति (Maruti) जॉइन करने से पहले खट्टर एक भारतीय प्रशासनिक सेवा IAS अधिकारी थे, उन्होंने इस्पात मंत्रालय और यूपी सरकार के कई प्रमुख प्रशासनिक पदों पर भी काम किया था। जब उन्होंने मारुति का साथ थामा तो मारुति 9,000 से 22,000 करोड़ सालाना आय वाली कंपनी बन गई। जिसका मुनाफा करीब 1730 करोड़ रुपये पहुंचा जो पांच गुना अधिक था।