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Toll पर Tax देने के लिए नहीं करना होगा इंतजार, Fastag के साथ नई तकनीक से जल्‍द कटेगा पैसा, जानें पूरी डिटेल

भारत में बड़ी संख्‍या में एक्‍सप्रेस वे और नेशनल हाइवे बन रहे हैं। जिस कारण वाहनों की संख्‍या भी लगातार बढ़ रही है। कई बार Toll पर Tax देने के लिए लंबी लाइन लग जाती हैं। जिससे समय खराब होता है। लेकिन जल्‍द ही नई तकनी के जरिए Fastag से पैसा लिया जाएगा। यह तकनीक क्‍या है और इससे क्‍या फायदा मिलेगा। आइए जानते हैं।

By Sameer Goel Edited By: Sameer Goel Published: Mon, 10 Jun 2024 02:00 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2024 02:00 PM (IST)
नेशनल हाइवे और एक्‍सप्रेसवे पर जल्‍द नई तकनीक से कटेगा Toll Tax।

ऑटो डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारत में बड़ी संख्‍या में हाइवे, एक्‍सप्रेस वे शुरू होने से वाहनों की संख्‍या में भी बढ़ोतरी हो रही है। जिससे अक्‍सर Toll पर Tax देने में समय लगता है। इस समस्‍या को सुलझाने के लिए एनएचएआई और आईएचएमसीएल जल्‍द ही नई तकनीक को शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। हम इस खबर में आपको बता रहे हैं कि किस तरह से नई तकनीक के जरिए Fastag से पैसा दिया जाएगा और इससे क्‍या फायदे होंगे।

क्‍या है नई तकनीक

टोल प्‍लाजा पर अक्‍सर Toll Tax देने में कई वाहनों को समय लगता है। जिससे लाइन बढ़ती जाती है। लेकिन इस परेशानी को खत्‍म करने के लिए एनएचएआई और आईएचएमसीएल जल्‍द ही नई तकनीक को शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे टोल टैक्‍स देने में किसी भी वाहन को खड़ा नहीं होना पड़ेगा। इस तकनीक को GNSS यानि कि ग्‍लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्‍टम कहा जाता है।

कैसे करेगी काम

एनएचएआई मौजूदा Fastag इकोसिस्टम के अंदर ही GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETC) सिस्‍टम को शुरू करने की योजना बना रहा है। शुरूआत में एक हाइब्रिड मॉडल का उपयोग करके RFID-आधारित ईटीसी और जीएनएसएस-आधारित ईटीसी दोनों एक साथ काम करेंगे। टोल प्लाजा पर जीएनएसएस लेन को शुरू किया जाएगा, जिससे जीएनएसएस-आधारित ईटीसी का उपयोग करने वाले वाहन आसानी से गुजर सकेंगे।

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क्‍या होंगे फायदे

भारत में Fastag के साथ ही GNSS सिस्‍टम को एक बार शुरू कर दिया जाएगा तो उसके बाद सबसे ज्‍यादा फायदा वाहनों को होगा। टोल देने के लिए लगने वाले समय को काफी कर दिया जाएगा और इसके अलावा जो कार जितनी दूरी तय करेगी उसे उतना ही Tax टोल पर देना होगा। आम जनता के साथ ही इसका फायदा यह भी होगा कि इससे ज्‍यादा बेहतर तरीके से टोल संग्रह किया जा सकेगा। साथ ही इससे लीकेज रोकने और टोल चोरी करने जैसी समस्‍याओं से भी निजात मिल पाएगी।

इस तरह होगी शुरूआत

GNSS आधारित टोल सिस्‍टम को सबसे पहले दो हजार किलोमीटर पर तीन महीने में लागू किया जाएगा। इसके बाद नौ महीनों के दौरान इसे 10 हजार किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा और फिर 15 महीनों में इसे बढ़ाकर 50 हजार किलोमीटर तक कर दिया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से आवेदन मांगे गए हैं। एनएचएआई और आईएचएमसीएल की ओर से इस सिस्‍टम को लागू करने के लिए 22 जुलाई तक Global Expression of Interest को मंगवाया है।

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