Electric Buses in India: डीजल बसों की जगह ई-बस के लिए सरकार ला रही है PSM फॉर्मूला, जानें कैसे करेगा काम
इलेक्ट्रिक बस निर्माता कंपनियों को इस बात की आशंका रहती है कि उधार में बस देने पर उनका भुगतान फंस जाएगा। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इस संकट का हल निकालने के लिए ही पीएसएम फॉर्मूला लाया जा रहा है। इसके तहत निर्माता कंपनी राज्यों के ट्रांसपोर्ट विभाग को बसें सप्लाई करेंगी और मासिक या त्रैमासिक स्तर पर किस्त में ट्रांसपोर्ट विभाग भुगतान करेगा।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। नई सरकार के गठन होते ही डीजल बसों की जगह इलेक्ट्रिक बस लाने की कवायद शुरू हो जाएगी। राज्यों को इलेक्ट्रिक बसों की खरीदारी में वित्तीय दिक्कतों से बचाने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय ने एक फॉर्मूला तैयार किया है। पेमेंट सिक्युरिटी मैनेजमेंट (पीएसएम) नामक इस फॉर्मूले के तहत इलेक्ट्रिक बस सप्लाई करने वाली मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को उनके भुगतान मिलने की गारंटी होगी और राज्य ट्रांसपोर्ट विभाग को भी इलेक्ट्रिक बस के बदले तत्काल भुगतान नहीं करना होगा।
इस फॉर्मूले के तहत डीजल बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बस लेने के लिए देश के 15 राज्य तैयार भी हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक इन राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब जैसे राज्य प्रमुख हैं। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक पीएसएम फॉर्मूले का कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है।सूत्रों का कहना है कि एक लाख से अधिक डीजल बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसों को लाने की कवायद इस साल शुरू हो जाएगी। राज्यों के ट्रांसपोर्ट विभाग को डीजल बस की जगह इलेक्ट्रिक बस की खरीदारी के लिए बड़ी रकम की जरूरत होगी और एक बार में ट्रांसपोर्ट विभाग इतनी बड़ी रकम देने में सक्षम नहीं होता है।
दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक बस निर्माता कंपनियों को इस बात की आशंका रहती है कि उधार में बस देने पर उनका भुगतान फंस जाएगा। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इस संकट का हल निकालने के लिए ही पीएसएम फॉर्मूला लाया जा रहा है। इसके तहत निर्माता कंपनी राज्यों के ट्रांसपोर्ट विभाग को बसें सप्लाई करेंगी और मासिक या त्रैमासिक स्तर पर किस्त में ट्रांसपोर्ट विभाग भुगतान करेगा। ट्रांसपोर्ट विभाग की गारंटी उस राज्य की सरकार लेगी। मतलब ट्रांसपोर्ट विभाग अगर भुगतान नहीं करेगा तो राज्य सरकार वह भुगतान करेगी। अगर राज्य सरकार भी भुगतान नहीं करती है तो आरबीआई में मौजूद राज्य सरकार के खाते से बस निर्माता कंपनी को भुगतान कर दिया जाएगा।
आरबीआई के पास सभी राज्यों का खाता होता है। सूत्रों का कहना है कि एक बार पीएसएम के तहत इलेक्ट्रिक बस की सप्लाई शुरू हो जाने पर अन्य राज्य भी अपने-अपने राज्यों में इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए राजी हो जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक देश भर में 15 लाख तक डीजल व सीएनजी बसें हैं जबकि देश भर में 4000 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। चालू वित्त वर्ष के बजट में भी इलेक्ट्रिक बसों के प्रसार के लिए पीएसएम लाने की घोषणा की गई थी।