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आधे से भी कम हो जाएगा कार चलाने का खर्च, मोदी सरकार ला रही है नया नियम

स्टैंडर्ड इंटरनल कम्बशन इंजन (ICE) को हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक पावरट्रेन से रिप्लेस करने का काम केवल ऑथराइज्ड वर्कशॉप्स ही कर सकते हैं

By Ankit DubeyEdited By: Updated: Thu, 23 Aug 2018 07:07 AM (IST)
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आधे से भी कम हो जाएगा कार चलाने का खर्च, मोदी सरकार ला रही है नया नियम
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री द्वारा हाल ही में जारी अधिसूचना में मोटर व्हीकल्स एक्ट 1989 में संशोधन करने की बात कही गई है। इस अधिसूचना के तहत मौजूदा व्हीकल्स में हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक सिस्टम के रेट्रो फिटमेंट को मंजूरी दी जाएगी। अधिसूचना के मुताबिक, रेट्रो फिटमेंट को तीन कैटेगरीज में बांटा जाएगा और यह AIS-123 स्टैंडर्ड की जरूरतों को पूरा करना होगा। हालांकि, अभी इस नोटिफिकेशन को पास किया जाना बाकी है। सरकार ने यह कदम वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए उठाया है। बता दें, पेट्रोल और डीजल वाहनों में हाइब्रिड सिस्टम लगाने के बाद कार चलाने का खर्च 50 फीसद से भी कम हो सकता है।

तीन कैटेगरीज कौन सी हैं?

- ड्राफ्ट के मुताबिक पहली कैटेगरी में पैसेंजर व्हीकल, स्मॉल गुड्स करियर और 3500kg से कम वाले वाहनों में हाइब्रिड सिस्टम लग सकता है।

- दूसरी कैटेगरी में 3500 kg से ज्यादा वजन वाले वाहनों में हाइब्रिड सिस्टम लगाया जा सकता है और तीसरी कैटेगरी में मोटर व्हीकल्स को इलेक्ट्रिक ऑपरेशन्स में बदलना है, जिसमें कम्बशन इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन से रिप्लेस किया जा सकता है।

स्टैंडर्ड इंटरनल कम्बशन इंजन (ICE) को हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक पावरट्रेन से रिप्लेस करने का काम केवल ऑथराइज्ड वर्कशॉप्स ही कर सकते हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड किट मैन्युफैक्चरर्स या सप्लायर्स को सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त टेस्टिंग एजेंसी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा।

सिस्टम में क्या है खास?

पेट्रोल, डीजल या सीएनजी कारों में कुछ टेक्नोलॉजी कंपनियां इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड मोटर्स लगाने पर काम कर रही हैं। इसके अलावा कारों में बैटरी भी फिट की जाती है, जिसे रेट्रोफिटिंग भी कहा जाता है। इस रेट्रोफिटिंग के बाद आपकी कार पेट्रोल या डीजल इंजन के बदले इलेक्ट्रिक पावरट्रेन से चल सकेगी।

कैसे करती है ये काम?

KPIT टेक्नोलॉजी ने इसके लिए रेवोलो नाम का प्रोडक्ट बनाया है। इस सिस्टम में एक इलेक्ट्रिक मोटर रहती है जिसे इंजन फैन बेल्ट से कनेक्ट करते हैं। इसी को लिथियम आयन बैटरी से भी जोड़ा जाता है, जिसके बाद आसानी से चार्ज किया जा सके। इलेक्ट्रिक मोटर पेट्रोल या डीजल इंजन के क्रैंकशाफ्ट में पावर जनरेट करता है, जिससे फ्यूल एफिशियंसी 35 फीसद तक बढ़ जाती है और एमिशन में 30 फीसद की कमी आती है। ऐसे ही दूसरी कंपनियां भी इलेक्ट्रिक किट प्रोवाइड कर रही हैं। इसी में टारा इंटरनेशनल कंपनी भी मौजूद है जो इलेक्ट्रिक या फिर हाइब्रिड रेट्रोफिटिंग किट प्रोवाइड करती हैं। इस कंपनी के सिस्टम लगाने से कार चलाने का खर्च 60 फीसद तक कम हो सकता है।

किस तरह इंस्टॉल होता है यह सिस्टम?

इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडिया कंपनी 2 फीट या 3 फीट ब्लैकबॉक्स के साथ मोटर, मोटर के लिए कंट्रोलर, चार्जर्स और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम देती है। एक यूनिट में करीब 800 से 1000 बैटरीज शामिल होती हैं। इसके अलावा व्हीकल के हॉर्स पावर के आधार पर विभिन्न किट्स लगाई जाती हैं, जिनकी रेंज 800cc से 2500cc तक रहती हैं। 7 से 8 घंटे में करीब यूनिट इलेक्ट्रिसिटी चार्ज होती है और इसकी रफ्तार 100 से 120 किमी तक हो सकती है।

क्या है इसकी कॉस्ट?

अगर हम एंट्री लेवल हैचबैक कार से बात शुरू करें तो मारुति ऑल्टो के लिए इसकी कॉस्ट करीब 80 हजार रुपये तक रहती है, जबकि बड़े डीजल एसयूवी या सेडान के लिए इसकी कॉस्ट करीब 1 लाख रुपये तक पड़ जाती है।

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