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GNSS के जरिए Toll Tax के भुगतान में होगी आसानी, नेशनल हाइवे के चुनिंदा सेक्‍शन पर होगा लागू

नेशनल हाइवे और एक्‍सप्रेस वे पर जल्‍द ही सफर करना और आसान हो जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से नेशनल हाइवे के चुनिंंदा सेक्‍शन पर GNSS और Fastag के जरिए GPS toll collection को शुरू करने की तैयारी की जा रही है। Global Navigation Satellite System पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से क्‍या जानकारी दी गई है। आइए जानते हैं।

By Sameer Goel Edited By: Sameer Goel Updated: Thu, 25 Jul 2024 11:59 AM (IST)
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Fastag के साथ GNSS के जरिए टोल संग्रह प्रणाली को लागू किया जाएगा।

ऑटो डेस्‍क, नई दिल्‍ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से यह जानकारी दी गई है कि जल्‍द ही नेशनल हाइवे पर GNSS आधारित Toll Tax सिस्‍टम को शुरू किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्‍यसभा में इस मामले पर और क्‍या जानकारी दी है। आइए जानते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को राज्‍यसभा में जानकारी दी है कि सरकार Fastag के साथ GNSS आधारित सिस्‍टम के जरिए टोल संग्रह प्रणाली को शुरू करेगी। शुरुआती तौर पर जीएनएसएस (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) प्रणाली को फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में पायलट प्रोजेक्‍ट के आधार पर नेशनल हाइवे के कुछ खंडों पर लागू किया जाएगा। जिसका फायदा नेशनल हाइवे और एक्‍सप्रेस वे पर सफर करने वालों को मिलेगा।

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दो हाइवे पर किया टेस्‍ट

राज्‍यसभा में एक सांसद के प्रश्‍न का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री की ओर से जानकारी दी गई कि कर्नाटक में बेंगलुरु और मैसूर के बीच एनएच-275 और हरियाणा में पानीपत और हिसार के बीच एनएच-709 (पुराना एनएच-71ए) पर इस सिस्‍टम को पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर टेस्‍ट किया गया है।

EOI भी मंगवाया

सरकार की ओर से GNSS के लिए 25 जून 2024 को एक इंटरनेशनल वर्कशॉप के में स्‍टेक होल्‍डर्स के साथ चर्चा की गई थी। व्यापक औद्योगिक परामर्श के लिए 7 जून 2024 को वैश्विक अभिरुचि अभिव्यक्ति (EOI) भी आमंत्रित की गई है, जिसे जमा करने की आखिरी तारीख 22 जुलाई 2024 थी।

क्‍या होगा फायदा

मौजूदा समय में नेशनल हाइवे और एक्‍सप्रेस वे पर सफर करने पर जब Toll Tax दिया जाता है तो Fastag के जरिए वसूल किया जाता है। कई बार फास्‍टैग में परेशानी, कम बैलेंस जैसी परेशानियां होती हैं, जिससे अन्‍य वाहनों को ज्‍यादा समय लगता है। लेकिन GNSS के जरिए टोल लेने में समय नहीं लगेगा। वाहन एक तय स्‍पीड पर चलते हुए ही टैक्‍स दे पाएंगे। इसके अलावा जो वाहन नेशनल हाइवे या एक्‍सप्रेस वे पर जितनी दूरी तय करेगा, उसे उसी मुताबिक टैक्‍स देना होगा।

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