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बैटरी स्वैपिंग मशीन कैसे करती है काम, EV ग्राहकों के लिए आसान हुआ सफर

कॉमर्सियल वाहनों के लिए सरकार का इलेक्ट्रिफिकेशन टारगेट निजी कारों की तुलना में 70 प्रतिशत पर बहुत अधिक है जो 2030 तक 30 प्रतिशत बाजार में प्रवेश हासिल करने की उम्मीद है। बैटरी स्वैपिंग मशीन इस्तेमाल करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

By Atul YadavEdited By: Updated: Sun, 30 Oct 2022 12:50 PM (IST)
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बैटरी स्वैपिंग मशीन का इस्तेमाल हुआ तेज
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस इंडियन मार्केट में कार्गो सेगमेंट में इलेक्ट्रिक व्हीकल का चलन तेज़ी से बढ़ा रहा है, जिसमें आपने इलेक्ट्रिक रिक्शा, इलेक्ट्रिक ऑटो की सवारी कभी न कभी ज़रूर की होगी। चूंकि, डीजल या पेट्रोल डलवाने में महज कुछ से ही मिनटों का समय लगता है, जबकि एक Electric vehicle को चार्ज करने में कई घंटे का समय लगता है इसी समय अंतराल को कम करने के लिए बैटरी स्वैपिंग मशीन लाई गई है, जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को अपनी डिस्चार्ज बैटरी को इस मशीन के माध्यम से चार्ज बैटरी से स्वाइप करने में मदद देती है। इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं बैटरी स्वैपिंग मशीन के इस्तेमाल के बारे में।

इस तर्ज पर काम करता है स्वैपिंग मशीन

देश में स्वैपिंग स्टेशन की भी शुरुआत हो गई है। जिसे वाहन चालकों को स्मार्ट कार्ड से एटीएम की तर्ज पर खाली बैटरी के बदले फुल चार्ज बैटरी मिल सकेगी। बैटरी स्वैपिंग की सुविधा फिलहाल व्यावसायिक वाहन जैसे टु व्हीलर और थ्री व्हीलर के लिए ही शुरू की गई है। भविष्य में चार पहिया वाहनों को भी स्वैपिंग की सुविधा मिल सकेगी ऐसी व्यवस्था की जाएगी। स्वैपिंग स्टेशन पर पर पंजीकृत वाहनों को तय शुल्क के बदले नई बैटरी दी जाएगी। साथ ही एक स्मार्ट कार्ड भी दिया जाएगा।

कॉमर्सियल वाहनों के लिए सरकार का इलेक्ट्रिफिकेशन टारगेट निजी कारों की तुलना में 70 प्रतिशत पर बहुत अधिक है, जो 2030 तक 30 प्रतिशत बाजार में प्रवेश हासिल करने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार ने पहले ही घोषणा की है कि सभी सवारी एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना होगा।

बैटरी स्वैपिंग में चुनौतियां

फिलहाल बैटरी स्वैपिंग इकोसिस्टम को स्थापित करना थोड़ा सा कठिन काम है। हालांकि, कई ऐसे प्लेयर्स हैं जो कॉमर्शियल वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग मशीन को पब्लिक प्लेस पर लगाए हुए हैं। चुनौतियों की बात की जाए तो एक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने से कहीं अधिक बैटरी स्वैपिंग मशीन को लगाने में लागत लगती है, क्योंकि Battery swapping machine में बैटरी रखी जाती है, जहां ग्राहक इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

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