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गाड़ियों में लगा लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम कैसे करता है काम? एडवांस कारों में दिया जा रहा ये फीचर

Lane Departure Warning System हाइवे और एक्सप्रेसवे पर लेन चेंज करने की वजह से कई एक्सिडेंट की सूचना पाई जाती है। इन्हीं दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इस वार्निंग सिस्टम को वाहनों में लगाया गया है। ताकि अधिक से अधिक रोड एक्सेडेंट्स पर काबू पाया जा सके।

By Atul YadavEdited By: Updated: Mon, 12 Dec 2022 08:00 AM (IST)
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लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS) को ADAS सेफ्टी फीचर में जोड़ा गया है।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इस समय इंडियन मार्केट में कई एडवांस गाड़ियां लॉन्च हो रही हैं, जिसमें ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय कई ऐसे एडवांस फीचर्स मिल रहे हैं, जिससे उनका राइड एक्सपीरिएंस और भी हाई-टेक हो जाता है। इसी तरह एक हाइटेक फीचर आजकल के गाड़ियों में मिलने लगे हैं, जिसको 'लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम' कहा जाता है। इस सेफ्टी फीचर का इस्तेमाल केवल गाड़ी चला रहे ड्राइवर कर पाते हैं। आइये आसान भाषा में समझते हैं क्या है लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम, इसको लाना क्यों था जरूरी और इससे होने वाले फायदों के बारे में।

लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम

लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS) को ADAS सेफ्टी फीचर में जोड़ा गया है। इस वार्निंग सिस्टम का सीधा काम ड्राइवर को परिस्तिथियों के बारे में आगाह करते रहना है। हाइवे और एक्सप्रेसवे पर लेन चेंज करने की वजह से कई एक्सिडेंट की सूचना पाई जाती है। इन्ही दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इस वार्निंग सिस्टम को वाहनों में लगाया गया है। लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम पूरी तरह से गाड़ी के कैमरे और सेंसर पर डिपेंड होता है, जो रियल टाइम सड़कों की परिस्तिथियों को स्कैन करता रहता है। आइये जानते हैं ये कैसे करता है काम

इस तरह से काम करता है

लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम केवल उन्हीं सड़कों पर काम करता जहां सफेद रंग की पट्टी बनी हुई रहती है। दरअसल, यह सिस्टम हाइवे, एक्सप्रेसवे पर लेन विभाजित करने के लिए बनाए गए सफेद पट्टी को स्कैन करता है और अगर गाड़ी उस सफेद पट्टी से टकराती है या फिर उस लेन से बाहर जाती है तो गाड़ी एक वार्निंग अलार्म बजाना शुरू हो जाता है, जिससे ड्राइवर समय रहते अपनी गाड़ी पर अपना कंट्रोल पा जाता है।

लेन में गाड़ी सही तरीके से चलने को सुनिश्चित करने के लिए काम आते हैं ये सिस्टम

लेन कीपिंग असिस्ट- अगर ड्राइवर वार्निंग के बावजूद भी समय रहते गाड़ी पर कंट्रोल नहीं पाता है तो इस सिस्टम की वजह से गाड़ी अपने आप आप ट्रैक पर यानी कि अपने लेन पर आने के वार्न करता है, जिसके बाद आगे काम ऑटोमैटिक लेन कीपिंग सिस्टम करता है।

लेन सेंटरिंग असिस्ट- लेन सेंटरिंग असिस्ट का सीधा वास्ता गाड़ी के स्टेयरिंग से होता है। इस सिस्टम का काम ओवरस्टेयरिंग में सहायता करना कार को लेन में केंद्रित रखना, और ड्राइवर को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संभालने के लिए वार्न करना है।

ऑटोमैटिक लेन कीपिंग सिस्टम- गाड़ी अगर लेन के बाहर चली जाती है तो उसे लेन के बीच में प्रॉपर तरीके से रखने का काम ऑटोमैटिक लेन कीपिंग सिस्टम का है। इस सिस्टम का सीधा कनेक्शन गाड़ी के सेंसर, कैमरा और व्हील्स से होता है। गाड़ियों में लगे ये सेफ्टी फीचर्स आने वाली दुर्घटनाओं को समय रहते भाप लेते हैं और गाड़ियों को एडवांस सेफ्टी देते हैं।

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