पुरानी गाड़ियों का रेट्रोफिटिंग करवाना आसान, जानिए पुरानी गाड़ी में ईवी पॉवरट्रेन लगवाना कितना सस्ता
रेट्रोफिटिंग की क्षमता बिल्कुल नए ईवी की लागत का लगभग 70 फीसद होती है। इस समय किट की ऊंची कीमत में जीएसटी एक अपनी बड़ी भूमिका निभाता है। इसके अलावा बीएस-VI वाहन मालिक भी करवा सकते हैं सीएनजी या एलपीजी किट की रेट्रोफिटिंग
By Atul YadavEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 02:20 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। EV रेट्रोफिटिंग का मतलब पेट्रोल इंजन को इलेक्ट्रिक पावरट्रेन से बदलना है। रेट्रोफिटिंग के अंतर्गत पिछले पहिए में एक इलेक्ट्रिक मोटर फिक्स हो जाती है और गाड़ी में लगे हुए इंजन को निकालना होता है। अगर आप अपने इंजन को ईवी में बदलवाना चाहते हैं तो इस खबर को जरूर पढ़ें, जहां आपको बताने जा रहे हैं रेट्रोफिटिंग में लगने वाले समय के बारे में, इसके साथ आपको इसके नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
कार में रेट्रोफिटिंग करवाने में कितना समय लगता है?
आसान भाषा में बताएं को रेट्रोफिटिंग का काम आईसीई इंजन को निकालकर इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन को फिट करना है। इसके तहत इंजन को बाहर निकाल कर गाड़ी में बैटरी पैक और इलेक्ट्रिक मोटर फिट किया जाता है। अगर मकैनिक खाली रहता है और रेट्रोफिटिंग के लिए आपका गाड़ी का नंबर रहता है तो आपको इसके लिए कम से कम 3 घंटे का समय लग सकता है।पुरानी गाड़ी में ईवी पॉवरट्रेन लगवाना पड़ता है सस्ता
रेट्रोफिटिंग इतना महंगा नहीं है यह नए वाहन से सस्ता है, क्योंकि व्यक्ति के पास पहले से ही अपना वाहन होता है, उसे केवल किट और बैटरी खरीदना होता है। रेट्रोफिटिंग की क्षमता बिल्कुल नए ईवी की लागत का लगभग 70 फीसद होती है। इस समय किट की ऊंची कीमत में जीएसटी एक अपनी बड़ी भूमिका निभाता है।
बीएस-VI वाहन मालिक करवा सकते हैं सीएनजी या एलपीजी किट की रेट्रोफिटिंग
भारत स्टेज (बीएस-VI) वाहनों के इंजन में अब बदलाव कर उसमें अब सीएनजी या एलपीजी किट की रेट्रोफिटिंग करने की इजाजत देता है। सरकार ने साल के शुरूआत में इसके लिए हरी झंडी दे दी थी। मंत्रालय के अनुसार केवल उन्हीं गाड़ियों के डीजल इंजन को बदल कर सीएनजी या एलपीजी इंजन में किया जाएगा, जिनकी वजह 3.5 टन से कम हो। यह भी पढ़ें