हाइड्रोजन कार कैसे करती है काम? यूं ही नहीं बनी नितिन गडकरी की फेवरेट
नितिन गडकरी ने पेट्रोल-डीजल को छोड़ हाइड्रोजन फ्यूल की बात की और हाइड्रोजन कारों को फ्यूचर बताया। देश की पहली हाइड्रोजन कार टोयोटा मिराई भी गडकरी के पास है। आइये जानते हैं हाइड्रोजन फ्यूल कैसे करती है काम?
By Atul YadavEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 10:16 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश में इस समय कई तरह की कारें उपलब्ध है, जैसे कि डीजल-पेट्रोल, सीएनजी, ईवी आदि। हालांकि, इन दिनों हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ी भी काफी चर्चा में बनी हुई है। इस समय हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ी टोयोटो मिराई की सवारी करते हुए नितिन गडकरी को देखा जा सकता है। कुछ महीने पहले इस गाड़ी को लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री संसद में पहुंचे थे। अब लोगों के मन सवाल ये उठता है कि क्या हाइड्रोजन से गाड़ी कैसे चलेगी और इसका देश में भविष्य क्या है। इन सारे सवालों के जवाब इस ऑर्टिकल के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं।
कैसे काम करेंगी हाइड्रोजन कारें
हाइड्रोजन कार को चलाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत पड़ती है। इन कारों में इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करने के लिए फ्यूल सेल की जरूरत पड़ती है, जो इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करने में मदद करता है। आसान भाषा में कहें तो, ये फ्यूल सेल वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और इसके ईंधन टैंक में भरे हाइड्रोजन के बीच केमिकल रिएक्शन करा कर इलेक्ट्रिक पैदा करते हैं। केमिकल रिएक्शन से इन दोनों गैस के मिलने से पानी H2O और इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है, जिससे गाड़ी चलने लगती है।
हाइड्रोजन गाड़ियों का देश में भविष्य?
इस समय हाइड्रान कार को देश का फ्यूचर कहा जा रहा है। इसको खुद परिवहन मंत्री नितिन गडकरी प्रमोट कर रहे हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने बताया ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि Hydrogen Car देश का भविष्य है। बता दें, जिस हाइड्रोन से चलने वाली गाड़ी की सवारी नितिन गड़करी करते हैं, उसका नाम टायोटा मिराई है और ' मिराई' शब्द जापानी है, जिसका मतलब भविष्य है। इस दिशा में भारत सरकार तेजी से काम कर रही है और आने वाले सालों में हाइड्रोन से चलने वाली गाड़ियां लॉन्च होना शुरू हो सकती हैं।भारत में हाइड्रोजन इकोसिस्टम की कमी
इस समय इस कॉन्सेप्ट पर काम किया जा रहा है। हालांकि, वर्तमान में अभी हाइड्रोजन कारों का क्रेज आने में कई साल लग सकते हैं, क्योंकि अभी इसके लिए पूरा इकोसिस्टम तैयार होना बाकि है। इसको चलाने के लिए संपूर्ण लागत, हाइड्रोजन भंडारण की जरूर है। हाइड्रोजन का परिवहन और भंडारण जीवाश्म ईंधन के लिए आवश्यक की तुलना में अधिक जटिल है।
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