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PUC Certificate क्या होता है? गाड़ी चलाते समय क्यों रखना चाहिए साथ

मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के आने के बाद से ही गाड़ी से होने वाले पॉल्यूशन को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही है। इसके कारण ही सरकार ने PUC सर्टिफिकेट यानी कि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट को गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है।

By Ayushi ChaturvediEdited By: Updated: Sun, 18 Dec 2022 09:03 AM (IST)
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How to Get a PUC Certificate for your Vehicle
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Pollution under Control: भारत में कुछ सालों से पॉल्यूशन काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने गाड़ी से होने वाले प्रदूषण को लेकर काफी सख्ती बरती है और PUC यानी कि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट को सभी गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य बढ़ते एयर पॉल्यूशन को कम करने का है। आपको बता दें PUC देते समय ये देखा जाता है कि कोई गाड़ी तय किए गए स्टैंडर्ड से ज्यादा पॉल्यूशन तो नहीं कर रही है। जब गाड़ी का पॉल्यूशन टेस्ट हो जाएगा तभी उसे सर्टिफिकेट दिया जाता है।

नई गाड़ी लेने पर PUC सर्टिफिकेट गाड़ी को खरीदते समय ही दिया जाता है,जो आमतौर सिर्फ एक साल के लिए वैलिड होता है। एक साल बाद आपको फिर से गाड़ी का PUC टेस्ट कराना होगा। जिसके बाद आपको नया सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इसकी वैलिडिटी 3 से 6 महीने तक की ही होती है। इसे बनाने के लिए आपको मात्र 60 से 100 रुपये ही फीस देना होगा।

इसकी एक बात बहुत खास है। हर राज्य का PUC सर्टिफिकेट दूसरे राज्य में वैलिड माना जाता है। वहीं अगर आपके पास PUC सर्टिफिकेट नहीं है तो आपको 10 हजार रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। अब बात ये आती है कि आप इस सर्टिफिकेट को कैसे बनवाएं, चलिए आपको इसके बनाने की प्रक्रिया बताते हैं।

कैसे मिलेगा PUC सर्टिफिकेट

सबसे पहले PUC सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको पेट्रोल पंप पर जाना होगा। देश के हर राज्य में हर पेट्रोल पंप पर आपको पॉल्यूशन चेक सेंटर मिल जाएगा। ये सभी सेंटर उस राज्य से ही ट्रांसपोर्ट विभाग से ऑथोराइज्ड होते है। आपके PUC सर्टिफिकेट पर सीरियल नंबर होगा। इसके साथ ही गाड़ी की लाइसेंस प्लेट का नंबर, जिस दिन गाड़ी का टेस्ट कराया गया हो वो तारीख होती है। आपको बता दे PUC सर्टिफिकेट पर इसके एक्सपायर होने की तारीख के साथ टेस्ट में किया गया दिन की तारीख भी मैन्शन होती है।

कैसे होता है पॉल्यूशन टेस्ट

पॉल्यूशन टेस्ट करने के लिए सेंटर पर एक गैस एनालाइजर मौजूद होता है । ये एनलाइजर एक कम्प्यूटर से लिंक होता है। जिसमें एक कैमरा और प्रिंटर जुड़े होते हैं। टेस्ट करने के लिए सबसे पहले गैस एनालाइजर को गाड़ी के साइलेंसर में डालते हैं । फिर एक बार जांच करके कंप्यूटर पर आंकड़े अपडेट नहीं होते तब तक गाड़ी को स्टार्ट ही रखा जाता है। इसी बीच कैमरा कैमरा गाड़ी के नंबर प्लेट का फोटो लेता है फिर गाड़ी से तय स्टैंडर्ड पर पॉल्यूशन निकलता है तो PUC सर्टिफिकेट को जारी कर देता है।

आपको बता दें PUC सर्टिफिकेट के लिए टेस्ट का तरीका पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के लिए अलग -अलग होता है। पेट्रोल पर चलने वाली गाड़ियों के लिए बिना एक्सीलेटर दबाव एक बार में रीडिंग ले ली जाती है और डीजल गाड़ियों के लिए एस्केलेटर को पूरी तरह दबा कर रखते हैं। ऐसा तकरीबन पांच बार किया जाता है। इसके बाद गाड़ी से निकलने वाले धुएं का एक एवरेज निकाल कर रीडिंग ली जाती है।