नहीं कटेगा भारी चालान! जानिए कैसे बनता है PUC सर्टिफिकेट
सडक पर चलने वाली वाहनो से जो धुआं निकलता हैउसके कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने कई अहम नियम तय किये हैं। आपकी गाड़ी धुआ फैला रही है इसी बात की पुष्टि करने के लिए Pollution Test किया जाता है।
By Ayushi ChaturvediEdited By: Updated: Tue, 26 Jul 2022 04:48 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। अगर आप भी बाइक या कार ड्राइव करने का शौक रखते है तो इससे पहले ये अहम नियम जान ले। हमेंशा गाडी चलाते वक्त अपने साथ इन कागजों को साथ रखना चाहिए वरना आपको हजारों का चालान भरना पड़ सकता है। सडक पर चलने वाली वाहनो से जो धुआं निकलता है, उसके कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। इस तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने (Pollutants Standards) तय किये हैं। आपकी गाड़ी धुआ फैला रही है, इसी बात की पुष्टि करने के लिए एक टेस्ट (Pollution Test) किया जाता है। इस टेस्ट के बाद जो सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, उसे ही पीयूसी सर्टिफिकेट कहते हैं। आपको बता दें भारत में मिलने वाली सभी गाड़ी, बाइक के लिए ये अनिर्ऴाय है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक कारक तत्वों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के लिए नियमित जांच की जाती है जिसके बाद ही पीयूसी दिया जाता है।
कैसे करें प्रदूषण प्रमाण पत्र प्राप्त
आपको बता दें PUC सर्टिफिकेट देने वाले सेंटर को कंप्यूटर से जुड़ा एक गैस एनालाइजर होता है। इसके साथ ही कंप्यूटर में कैमरा और प्रिंटर भी जुड़ा होता है। फिर इस गैस एनालाइजर को गाड़ी के साइलेंसर में डालते हैं। इसके बाद गाड़ी को चालू रखा जाता है। ये गाड़ी से निकलने वाले गैस की जाँच करता है फिर इसके आंकड़े कंप्यूटर में दिखाई देते है। वहीं एक कैमरा लाइसेंस प्लेट की फोटो लेता है। अगर आपकी गाड़ी तय दायरे में पॉल्यूशन फैला रही है, तो इसको PUC सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा। आपको बता दें पेट्रोल और इंजन दोनों की टेस्टिंग प्रक्रिया में थोड़ा सा फर्क होता है। पेट्रोल वाहन में गाड़ी के एक्सलरेटर को बिना दबाए सिर्फ एक बार रीडिंग ली जाती है। डीजल वेरिएंट में गाड़ी के एक्सलरेटर को पूरी तरह दबाया जाता है और धुएं से प्रदूषण की रीडिंग ली जाती है। ऐसा चार-पांच बार करने के बाद ही एवरेज निकालकर फाइनल रीडिंग ली जाती है।
कौन सी जानकारी PUC सर्टिफिकेट में होती है?
PUC में इसका सिरीयल नंबर होता है।जिस वाहन का टेस्ट होता है उसके लाइसेंस प्लेट का नंबर होता है।जिस तारीख को PUC सर्टिफिकेट टेस्ट किया गया है वो तारीख होती है।
इसके साथ ही इसकी एक्सपायरी डेट भी होती है।
इसके बाद इसमें PUC सर्टिफिकेट में रीडिंग और टेस्ट के ऑब्जर्वेशन के बारे में भी लिखा होता है।