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भविष्य में हाइड्रोजन और ग्रीन फ्यूल पर सबसे अधिक चलेंगी गाड़ियां, जानिए क्या है गडकरी का मास्टर प्लान

अगर आप पेट्रोल कार खरीदना चाहते हैं तो आपका कास्ट 6 लाख तक लग सकता है वहीं अगर आप उसी गाड़ी को इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन में लेंगे तो आपको 10 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। (जागरण फाइल फोटो)

By Atul YadavEdited By: Atul YadavUpdated: Sun, 26 Feb 2023 02:28 PM (IST)
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जानिए क्या है गडकरी का मास्टर प्लान

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। पिछले कुछ समय से सरकार का जोर ग्रीन फ्यूल, इलेक्ट्रिक गाड़ी और हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों पर अधिक है। यही वजह है कि इस साल के बजट में हाइड्रोजन को लेकर भारी मात्रा में बजट बनाया गया है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान अपने बयान में कहा कि हाइड्रोजन कार और ग्रीन फ्यूल  से चलने वाली गाड़ियां भारत की भविष्य हैं। गडकरी का बयान उस समय आया जब भारत सरकार लिथियम-आयन इलेक्ट्रिक बैटरी, हाइड्रोजन, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल आदि जैसे ग्रीन फ्यूल सोल्यूशन पर तेजी से जोर दे रही है।

जबकि हरित गतिशीलता की ओर बढ़ने का इरादा वही रहता है, नए ऊर्जा वाहनों की उच्च लागत बड़े पैमाने पर गोद लेने के लिए एक चुनौती बनी हुई है। उदाहरण के लिए, यदि पेट्रोल से चलने वाली कार की कीमत ₹6 लाख है, तो उसी कार के बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक संस्करण की कीमत ₹10 लाख से अधिक है, जो खरीदारों के लिए बहुत महंगा हो जाता है, जो अंत में आईसीई-संचालित वाहन खरीदने का सहारा लेते हैं।

नए फ्यूल एनर्जी अभी भी एक चैलेंज की तरह है क्योंकि, इन एनर्जी से चलने वाली गाड़ियों की कीमत ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तुलना काफी कम है। उदाहरण को तौर पर अगर आप पेट्रोल कार खरीदना चाहते हैं तो आपका कास्ट 6 लाख तक लग सकता है, वहीं अगर आप उसी गाड़ी को इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन में लेंगे तो आपको 10 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। इसलिए ग्राहकों की डिमांड पेट्रोल गाड़ी की ओर अधिक है।

एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आने वाले सालों में बैटरी की कीमतों में गिरावट होगी, जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियां पहली की तुलना में सस्ती हो जाएंगी। हालांकि, मंत्री ने किसी निर्धारित समय के बारे में जानकारी नहीं दी। इससे पहले सरकार ने 2030 से केवल ईवी परिवहन को पूरा करने की समय सीमा निर्धारित की थी।

गड़करी ने कहा कि लिथियम-आयन बैटरी पेट्रोल और डीजल चालित कारों की वर्तमान श्रेणी से बदलाव का नेतृत्व करेगी। हम 16 लाख करोड़ रुपये तक का हर साल ईंधन को इंपोर्ट करते हैं, लेकिन बहुत जल्द, हमारे किसान ग्रीन फ्यूल और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोड्यूस करेंगे।