ईवी के बढ़ते चलन से चीन पर बढ़ेगी निर्भरता, बैटरी और पार्ट्स मिलना एक बड़ी समस्या: रिपोर्ट
परिणामस्वरूप बैटरी बनाने निपटान और चार्जिंग के दौरान प्रदूषक निकलते हैं और भारत में ईवी के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली लगभग 70 प्रतिशत सामग्री चीन और कुछ अन्य देशों से आयात की जाती है। (जागरण फोटो)
By Atul YadavEdited By: Atul YadavUpdated: Tue, 07 Mar 2023 04:08 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में इस समय ईवी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कई स्टॉर्टअप्स कंपनी के अलावा, बड़े मैन्यूफैक्चरर्स भी इलेक्ट्रिक सेगमेंट में अपनी गाड़ियां उतार रहे हैं। एक तरह ईवी के बढ़ते उपयोग से प्रदूषण कम होगा, तो वहीं दूसरी ओर एक रिसर्च में पाया गया है कि इससे भारत की निर्भरता चीन पर हो जाएगी। इकोनॉमिक थिंक टैंक जीटीआरआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के निर्माण से रॉ मटैरियल, मिनिरल प्रॉसेसिंग और बैटरी प्रोडक्शन के लिए चीन पर निर्भरता बढ़ेगी।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक, इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में ईवो को लेकर एक लाइफ साइकिल मूल्यांकन की आवश्यकता है। परिणामस्वरूप बैटरी बनाने, निपटान और चार्जिंग के दौरान प्रदूषक निकलते हैं और भारत में ईवी के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली लगभग 70 प्रतिशत सामग्री चीन और कुछ अन्य देशों से आयात की जाती है।
चीन ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में सबसे बड़ी लिथियम खदानें खरीदी हैं। यह विश्व स्तर पर उत्पादित लिथियम का 60 प्रतिशत से अधिक ऑपरेट करता है। यह 65 प्रतिशत कोबाल्ट और 93 प्रतिशत मैंगनीज को भी ऑपरेट करता है।दुनिया भर में जो बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है उसमें से अधिकतर बैटरियां चीन द्वारा बनाई गई होती हैं। रिचर्स में यह भी पता चला है कि हर 4 बैटरी में से 3 बैटरी चीन द्वारा बनाई गई हैं। 100 से अधिक चीनी बैटरी इकाइयों को जोड़ने से 60 प्रतिशत कैथोड और 80 प्रतिशत एनोड लिथियम-आयन कोशिकाओं में उपयोग किए जाते हैं।
भारत में पिछले साल 10 लाख के करीब इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीददारी हुई थी। वहीं इस साल ये संख्या और भी अधिक बढ़ सकती है। ऐसे में यह रिपोर्ट एक चिंता का विषय है।