इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमतों में आएगी कमी, बैटरी पर लगने वाली जीएसटी में होगी कटौती; जानें रिपोर्ट
इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगने वाली बैटरियों की कीमतों से वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां परेशान हैं। क्योंकि प्रत्येक वाहनों में लगने वाली बैटरियों की कीमतें गाड़ी की कीमतों से आधा है। इसलिए ये खबर काफी राहत भरी है। जानें डिटेल्स
By Atul YadavEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2022 07:37 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत सरकार ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत लिथियम-आयन बैटरी पर माल और सेवा कर (जीएसटी) में कटौती कर सकता है और उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर कर के बराबर ला सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, योजना को आगे कैसे बढ़ाया जाना है इस पर चर्चा शुरू हो चुकी है, जो भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को लगभग तीन महीने में अंतिम नीति विकसित करने की उम्मीद है।
फिलहाल ई-वाहनों पर 5 फीसदी और लिथियम आयन बैटरी पर 18 फीसदी टैक्स लगता है। बैटरी की कीमत एक इलेक्ट्रिक वाहन की लागत का 50 प्रतिशत तक होती है।
बैटरी-स्वैपिंग नीति पर चल रहा काम
बैटरी-स्वैपिंग नीति पर विचार-विमर्श करने वाली पहली बैठक 7 जून को हुई थी। नीति आयोग नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारी उद्योग और अन्य सरकारी विभागों ने कर युक्तिकरण, बैटरी के मानकीकरण को सुनिश्चित करने के बारे में बात की थी।
बैटरी-स्वैपिंग नीति के फायदे बैट्री को एक सेवा कारोबार का रूप देने से बैट्री से चलने वाले दोपहिया व तिपहिया वाहनों की कीमत भी कम हो जाएगी और इसका चलन बढ़ेगा। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत में 40-50 फीसद हिस्सेदारी बैट्री की होती है। बैट्री स्वैपिंग कारोबार के विकसित होने पर इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदार बिना बैट्री के स्कूटर खरीद सकेगा और बैट्री स्वैपिंग सेंटर पर जाकर मामूली कीमत देकर किराए पर बैट्री लेकर स्कूटर या अन्य इलेक्ट्रिक वाहन चला सकेगा। अभी इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी अपने ग्राहकों को चार्जिंग प्लग भी दे रही है। लेकिन देश के कई ऐसे शहर है जहां जगह की भारी कमी है और वहां सभी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। ऐसे में, बैट्री स्वैपिंग काफी कारगर साबित होगी।