Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Jagran Interview: साल के अंत तक लागू हो सकती है बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी: NHEV प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर अभिजीत सिन्हा

Jagran Interview बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी साल के अंत तक लागू हो सकती है। इस पॉलिसी के तहत ईवी इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को काफी लाभ होने वाला है। अगर गाड़ी और बैटरी सुरक्षित है तो आपको रोजमर्रा के जीवन में उसका इस्तेमाल करना आसान हो जाता है।

By Atul YadavEdited By: Updated: Mon, 25 Jul 2022 01:35 PM (IST)
Hero Image
ईवी बैटरी स्वाइपिंग पर बोले इलेक्ट्रिक हाइवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर अभिजीत सिंहा

नई दिल्ली, अतुल यादव। फरवरी में पेश हुए बजट के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी का जिक्र किया था। तब से यह विषय चर्चा में है। बैटरी स्वैपिंग एक ऐसी विधि है, जिसमें समाप्त बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है। बैटरी की अदला-बदली चिंता, कम वाहन लागत और कुशल चार्जिंग व्यवस्था के लिए एक संभावित समाधान है। यह नए बैटरी पैक खरीदने में लगने वाली लागत से बचाता है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स के जेब पर अधिक भार नहीं जाता है। इसी मुद्दे पर जागरण ने इलेक्ट्रिक हाइवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर अभिजीत सिंहा से बातचीत की।

प्रश्न- नीति आयोग कब तक बैटरी स्वापिंग पॉलिसी लागू करेगी

इसका जवाब देते हुए अभिजीत सिंहा ने कहा कि इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। हालांकि, अभी कोई तारीख विशेष तय नहीं हुआ है। नीति आयोग ने इस पॉलिसी के लिए मात्र 60 दिनों के भीतर ड्राफ्ट तैयार किया था। हम उम्मीद कर सकते हैं कि साल के अंत तक पॉलिसी आ जाएगी। हमारा काम रिकमेंडेशन का है और पॉलिसी जितनी जल्दी आएगी लोगों को उतना जल्दी लाभ मिलने वाला है।

प्रश्न- ईवी इकोसिस्टम को लेकर स्टेकहोल्डर्स को कौन-कौन सी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है?

जवाब- गाड़ी की कीमत अगर कम होकर डीजल-पेट्रोल गाड़ी के बराबर हो जाती है तो इससे भारी नुकसान होने से बचेगा इससे लोग उन गाड़ियों को खरीदने से बचेंगे, जिसे खरीदने का न उसका मन है न उनकी जरूरत है और न ही वो पर्यावरण के पक्ष में हैं। अगर गाड़ी और बैटरी सुरक्षित है और कम असुविधा के साथ चार्ज हो जाती है तो आपको रोजमर्रा के जीवन में उसका इस्तेमाल करना आसान हो जाता है।

प्रश्न- क्या आपको नहीं लगता है कि भारत को बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी से ज्यादा बैटरी की मैन्यूफैक्चरिंग पर फोकस करना चाहिए, ताकि ईवी की कीमतों में गिरावट देखा जा सके?

जवाब- बैटरी की जो मैन्यूफैक्चरिंग है उसका मास प्रोडक्शन पहले से ही प्रॉसेस में है। उसके लिए कॉन्ट्रैक्ट भी दिए जा चुके हैं। जिन कंपनियों को चुना गया है उनको कई गाइडलाइन्स को फॉलो करने को भी कहा गया है, ताकि भविष्य में बैटरी में लगने वाली आग की घटनाओं से बचा जा सके। इसके अलावा बैटरी की पॉलिसी को बैटरी से जुड़े प्रोडक्शन से कंपेयर करें तो दोनों एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। प्रोडक्शन बढ़ेगी तो पॉलिसी का होना जरूरी है और पॉलिसी के स्मूथ होने से प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा।

गौरतलब है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्रोग्राम के राष्ट्रीय कार्यक्रम निदेशक और इलेक्ट्रिक वाहन के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के परियोजना निदेशक अभिजीत सिन्हा ने कहा कि बैटरी स्वैपिंग यूनिट्स को एक मौजूदा और तीन आगामी प्रोटोटाइप चार्जिंग स्टेशनों में तैनात किया जाएगा, जिसमें दो नोएडा में और दो गुरुग्राम में होंगे। जहां शुरू में इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा बड़े ट्रकों को उतारने और शहर के अंदर सभी हल्के और भारी सामान और पार्सल भेजने के लिए किया जाएगा। ईवी लोडर और छोटे इलेक्ट्रिक टेम्पो के माध्यम से स्वैपेबल बैटरी का उपयोग करके किया जाएगा। इससे शहर में प्रवेश करने वाले बड़े डीजल वाहनों की संख्या में काफी कमी आएगी।