गाड़ी के हेडलाइट से जुड़ी ये बातें बहुत कम लोगों को मालूम, जानिए कितने प्रकार के होते हैं हेडलैम्प्स
HID या Xenon हेडलैम्प्स ये सीएफएल या कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट्स के सामान्य ही है जिसका इस्तेमाल घरों में एलईडी के आने से पहले किया जाता था। आज के समय में कई वाहन निर्माता कंपनियां एलईडी लाइट का इस्तेमाल कर रही है। अन्य लाइट के मुकाबले इसका इस्तेमाल काफी सरल है।
By Ayushi ChaturvediEdited By: Updated: Wed, 28 Sep 2022 01:52 PM (IST)
नई दिल्ली,ऑटो डेस्क। हेडलाइट किसी भी वाहन में अपना सबसे अहम रोल निभाती है। उसके बिना रात के समय और खराब रोशनी में कार चलाना सबसे मुश्किल हो जाएगा। आज के समय में गाड़ियों में अपने हेडलैंप के लिए लेजर का भी उपयोग किया जाता है। आज इस लिस्ट में हम 5 अलग-अलग प्रकार के हेडलैम्प्स की जानकारी लेकर आए है , जिसका सबसे अधिक उपयोग वाहन निर्माता कंपनियां करती है।
Halogen
हैलोजन का उपयोग भारतीय बाजार में सबसे अधिक किया जाता है। ये सबसे आम प्रकार में इस्तेमाल होने वाला हेडलैम्प्स है। क्या इसका इस्तेमाल करना काफी सरल है। आपको बता दें इसमें हैलोजन गैस और टंगस्टन फिलामेंट से भरा ग्लास कैप्सूल है। जब कार चालक इसे ओन करता है तो बिजली टंगस्टन फिलामेंट से होकर जाती है और फिर हीट जनरेट करती है और बल्ब के अंदर का फिलामेंट चमकने लगता है।
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Xenon or HID
HID या Xenon हेडलैम्प्स ये सीएफएल या कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट्स के सामान्य ही है जिसका इस्तेमाल घरों में एलईडी के आने से पहले किया जाता था। इसके अंदर फिलामेंट नहीं है। इसके बजाय इसे क्सीनन गैस भरा जाता है। इसके साथ ही HID को आमतौर पर किसी अन्य प्रकार के हेडलैंप के साथ जोड़ा जाता है और उनमें नीली-सफेद लाइट होती है।LEDs
आज के समय में कई वाहन निर्माता कंपनियां एलईडी लाइट का इस्तेमाल कर रही है।अन्य लाइट के मुकाबले इसका इस्तेमाल काफी सरल है। ये हीट पर निर्भर नहीं रहते और ये काफी ऊर्जा कुशल भी हैं। इसे काफी अलग -अलग डिजाइन में ढाला जा सकता है। आप अधिकांश देखते होंगे डे-टाइम रनिंग लैंप एलईडी तत्वों का इसमें इस्तेमाल किया जाता है।Matrix or Adaptive LEDs
Matrix or Adaptive LEDs कई अलग -अलग एलईडी होते है। इसमें सामने की ओर एक कैमरा लगा होता है जो सामने से आने वाले वाहनों पर लगातार नजर रखता है। जैसे ही सामने से आ रही कार दिखाई देती है, कंप्यूटर एक व्यक्तिगत एलईडी को बंद कर देता है ताकि आने वाला ट्रैफ़िक चकाचौंध न हो। इसका ये मतलब है कि ड्राइवर को लो-बीम पर स्विच करने की जरुरत नहीं है क्योकि इसमें ये सिस्टम ऑटोमैटकिली आता है।