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Golden Era Of Cars: वो सस्ती गाड़ी, जिसने साकार किया था आम आदमी के 'कार मालिक' बनने का सपना

Maruti 800 मारुति 800 कार देश की पहली देशी मॉडल के रूप में जानी जाती है। यह भारत की सबसे सफल कारों में से एक थी जिसे किफायती कीमत पर लाया गया था। आज हम 80 के दशक के इसी मॉडल के बारे में बात करेंगे।

By Sonali SinghEdited By: Updated: Thu, 08 Dec 2022 07:50 AM (IST)
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Maruti 800: India's Cheapest Car, See History And Journey In India
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। दशक था 80 का, जब पद्मिनी और एंबेसडर जैसी गाड़ियां भारतीय बाजार में धूम मचा रही थीं। हकीकत थी कि ये गाड़ियां अब भी आम जनता के पहुंच से बहुत दूर थीं। बाजार में एक सस्ती कार की जरूरत तो 70 के दशक से ही शुरू हो गई थी, लेकिन 14th December, 1983 में एक आइकॉनिक कार ने दस्तक दी। जी हां, ये थी भारत की पहली 'आम लोगों की कार'... जिसने सक्सेस से सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। हम बात कर रहे हैं मारुति 800 ( Maruti 800) की।

इस कार ने लोगों को 'कार के मालिक' होने का एहसास दिया था और महज 47,500 रुपये में आने वाली मारुति 800 कार को भारतीय लोगों ने इतना पसंद किया कि इसकी सफलता कि कहानी सदा के लिए भारतीय इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गई। यादों के झरोखों से आज हम 80 के दशक की सबसे सफल कार Maruti 800 के बारे में जानेंगे।

Maruti 800 की शुरुआत

14 दिसंबर 1983, को संजय गांधी की 37वीं जयंती पर, मारुति 800 को भारत में पेश किया गया। इसमें कोई शक नहीं था कि संजय गांधी भारत में एक सस्ती कार लाना चाहते थे और कहा जाता है कि मारुति उद्योग लिमिटेड द्वारा बनाई गई Maruti 800 काफी हद तक संजय गांधी के दिमाग की उपज थी। इसके बाद मारुति 800 ने भारत में एक लंबा सफर तय किया।

जबरदस्त माइलेज वाली कार- Maruti 800

उस समय भारत में बिकने वाली ज्यादातर कारें दिखने में तो शानदार थी, लेकिन उनकी माइलेज बहुत कम थी। Impala और Contessa जैसी कारें ठीक-ठाक माइलेज देती थीं, लेकिन इनकी कीमत ज्यादा थी। ऐसे में मारुति 800 कम कीमत में शानदार माइलेज वाली कार बनी। इसमें 796cc का इंजन था, जो 3-सिलेंडर इंजन से लैस थी और यह इंजन 38ps की पॉवर और 59Nm का पीक टॉर्क जनरेट करने में सक्षम था। 4-स्पीड गियरबॉक्स के साथ यह एंबेसडर और पद्मिनी को जबरदस्त टक्कर दे रही थी।

खास बात है कि Maruti 800 देश की पहली ऐसी कार बनी जो कि फ्रंट-व्हील-ड्राइव के साथ आई थी। इस वजह से एक छोटी कार होने के बावजूद इसमें लोगों के बैठने के लिए काफी जगह थी। इसकी इसी खूबी की वजह से यह बहुत से परिवारों की पहली कार भी बनी। पर्याप्त जगह, किफायती कीमत और शानदार लुक ने मारुति 800 को लोगों की चहेती कार बना दिया।

30 सालों का शानदार सफर

मारुति 800 में भारत में एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 30 सालों का सफर तय किया है। मारुति 800 के बाद 1984 में मारुति वैन, 1985 में मारुति जिप्सी और फिर मारुति 1000 सैलून को लॉन्च किया गया था। खास बात है कि इन  सभी कारों को उतना ही प्यार मिला, जितना 800 मॉडल को मिला था।

मारुति की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1997 में भारत में बेचे जाने वाले हर 10 वाहनों में से 8 मारुति की थी। अपने पूरे टाइम में इस कार की करीब 2.7 मिलियन से अधिक यूनिट्स को बेचा गया और वास्तव में इसे भारत की एक लिजेंड कार कहना गलत नहीं होगा।

'मास्टर ब्लास्टर' की कार

क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर का खुमार लोगों पर छाया हुआ था। सचिन को क्रिकेट के अलावा एक और चीज का भी शौक था और वह था- गाड़ियों की कलेक्शन। 'मास्टर ब्लास्टर' ने अपनी पहली कार के रूप में Maruti 800 को खरीदा और इस खबर के फैलते ही मारुति 800 की बिक्री में जबरदस्त उछाल आ गया।

हालांकि, हर कार की तरह ही मारुति 800 का दौर भी खत्म होना ही था। जनवरी 18, 2013 में इस कार की आखिरी लाइन-अप का उत्पादन किया गया। अपने 30 साल के सफर में मारुति 800 ने हजारों लोगों के कार रखने के सपने को साकार किया। आज भी जब देश की अपनी कही जाने वाली कार के बारे में बात होती है तो सबसे पहले मारुति 800 का नाम ही याद आता है।

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