Ev Policy In India: ईवी पर नई पॉलिसी की गाइडलाइन ड्राफ्ट जारी करने से पहले होगी हितधारकों और सरकार के बीच बैठक, जानें डिटेल
केंद्र सरकार की ओर से मार्च महीने में Electric Vehicles को बढ़ावा देने के साथ ही उत्पादन और विदेशी कंपनियों को भारत में लाने के लिए ईवी से जुड़ी योजना को मंजूदी दी गई थी। जिसके बाद अब सरकार की ओर से गाइडलाइन के ड्राफ्ट को जारी किया जा सकता है। लेकिन इसके पहले हितधारकों के साथ सरकार बैठक करेगी।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों की नई पॉलिसी के लिए गाइडलाइंस का ड्राफ्ट जारी करने से पहले हितधारकों के साथ बैठक की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नई EV Policy को लेकर और क्या जानकारी सामने आई है। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
जल्द होगी बैठक
भारत में EV उत्पादन और विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से नई EV Policy को जल्द जारी किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकारी अधिकारी ने बताया है कि नई EV Policy टेस्ला और अन्य देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के लिए तैयार की गई है। इस नीति के तहत प्रोत्साहन का फायदा लेने के लिए वाहन निर्माताओं को नई पॉलिसी के मुताबिक भारत में निवेश करना होगा। कंपनियों के पुराने निवेश पर विचार नहीं किया जाएगा।
मार्च 2024 में दी थी मंंजूरी
केंद्र सरकार की ओर से 15 मार्च 2024 को देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने वाली कंपनियों को SPMEPCI योजना को मंजूरी दी गई थी। जिसके बाद हितधारकों के साथ पहली बैठक अप्रैल में की गई थी। इस बैठक में टेस्ला के शीर्ष अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया था।यह भी पढ़ें- Audi ने लॉन्च किया Q7 का Bold Edition, जानें कितनी है कीमत और कैसी है खासियत
वियतनाम की कंपनी ने की थी घोषणा
वियतनाम की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता विनफास्ट की ओर से फरवरी महीने में कहा गया था कि वह अगले पांच सालों के दौरान दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में करीब चार हजार करोड़ रुपये का निवेश कर सकती है। सरकारी अधिकारी के मुताबिक पुराने निवेश पर विचार नहीं करने की बात की जानकारी कंपनी को दी गई है।कब होगी अगली बैठक
रिपोर्ट्स के मुताबिक हितधारकों और सरकार के बीच अगली बैठक जुलाई के आस-पास हो सकती है। जुलाई में इस बैठक के बाद से नई इवी पॉलिसी के तहत आवेदन प्रक्रिया को भी शुरू किया जा सकता है। जिसके बाद कंपनियों के पास आवेदन दाखिल करने के लिए करीब तीन से चार महीने के आस-पास का समय होगा।