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    प्लास्टिक कचरे से बन रही सड़क पर फर्राटा भरेंगी गाड़ियां, ऐसा होगा मास्टर प्लान

    National Highways Authority of India (NHAI) ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में फास्फोर-जिप्सम के इस्तेमाल के लिए NHAI परियोजनाओं पर फील्ड टेस्टिंग की घोषणा की है। आपको बता दें NHAI कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की कोशिश कर रहा है। (जागरण फोटो)

    By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi ChaturvediUpdated: Thu, 23 Feb 2023 10:27 AM (IST)
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    Vehicles will ply on the road made of plastic waste

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। National Highways Authority of India (NHAI) ने फर्टिलाइजर और केमिकल कंपनियों के साथ मिलकर सड़क बनाने में फॉस्फोर-जिप्सम के इस्तेमाल का फैसला किया है। NHAI ने इस परियोजना के फील्ड टेस्टिंग की घोषणा की है। फास्फोर-जिप्सम फर्टिलाइजर का एक उप-उत्पाद है और राष्ट्रीय राजमार्ग बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए इसे वेस्ट मैटेरियल के रूप में इस्तेमाल करने से कार्बन उत्पादन पर अंकुश लगेगा।

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    फॉस्फर-जिप्सम का इस्तेमाल

    एक भारतीय फर्टिलाइजर कंपनी ने फॉस्फर-जिप्सम का उपयोग करके एक सड़क का निर्माण किया है। सड़क का मूल्यांकन केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) द्वारा किया गया था और उनकी रिपोर्ट के आधार पर, भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) ने तीन साल की अवधि के लिए सड़क निर्माण के लिए फॉस्फोर-जिप्सम वेस्ट मटेरियल को मान्यता दी है।  

    मास्टर प्लान में शामिल हैं ये चीजें

    फॉस्फर-जिप्सम वेस्ट मैटेरियल के इस्तेमाल से बनी सड़क को चेक करने के बाद इसके फील्ड ट्रायल की मंजूरी दी गई थी, ताकि लोगों के बीच इसको लेकर विश्वास पैदा हो और उन्हें कोई परेशानी न हो सके। एनएचएआई सड़क निर्माण में बेकार प्लास्टिक के उपयोग को भी प्रोत्साहित कर रहा है, जिसकी पहले भी बहुत बार टेस्टिंग की जा चुकी है।

    रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके बनाई गई सड़कें टिकाऊ होती है और बिटुमिन का जीवनकाल बढ़ाती हैं। इतना ही नहीं, एक किलोमीटर के चार लेन के राजमार्ग के निर्माण से लगभग सात टन प्लास्टिक कचरे के निपटान में मदद मिलती है।

    फ्लाई ऐश का भी हो रहा इस्तेमाल

    एचएआई ने राजमार्गों और फ्लाईओवर को बनाने के लिए थर्मल पावर प्लांट्स (टीपीपी) में कोयले के दहन के एक अच्छे अवशेष 'फ्लाई ऐश' का इस्तेमाल किया है। 135 किलोमीटर लंबे, छह लेन के 'ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे' के निर्माण में 1.2 करोड़ क्यूबिक मीटर फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया गया है।

    एनएचएआई नई सामग्रियों के उपयोग को और प्रोत्साहित कर रहा है और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की कोशिश कर रहा है। स्थायित्व बढ़ाने और निर्माण को और अधिक किफायती बनाने पर एनएचएआई अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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