Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

ट्रैफिक का दबाव और ड्राइवरों का तनाव कम करेगी नई तकनीक, आईआईटी जोधपुर ने निकाला समाधान

ट्रैफिक में सुधार और सड़क सुरक्षा के दोहरे लाभ वाली यह तकनीक इंटरनेट आफ वेहिकल यानी आइओवी नेटवर्क के आधार पर काम करती है। इस शोध में किसी वाहन चालक के वाहन चलाने के तरीके का विश्लेषण कर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि कहीं वह चालक तनाव में गाड़ी तो नहीं चला रहा है। आइए पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।

By Jagran News Edited By: Ram Mohan Mishra Updated: Thu, 25 Jan 2024 08:00 PM (IST)
Hero Image
आईआईटी जोधपुर ने एक बेहतर समाधान निकाला है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ड्राइवरों के तनाव और एकाग्रता में कमी के कारण सड़क सुरक्षा के जोखिमों को कम करने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों के बीच आइआइटी जोधपुर ने एक नई तकनीक विकसित की है, जो ट्रैफिक जाम को भी कम कर सकती है। ट्रैफिक में सुधार और सड़क सुरक्षा के दोहरे लाभ वाली यह तकनीक इंटरनेट आफ वेहिकल यानी आइओवी नेटवर्क के आधार पर काम करती है।

ऐसे होगी मॉनिटरिंग 

इस शोध में किसी वाहन चालक के वाहन चलाने के तरीके का विश्लेषण कर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि कहीं वह चालक तनाव में गाड़ी तो नहीं चला रहा है और अगर ऐसा है तो रिसर्च की मदद से यह भी पता लगाया जा सकता है कि ऐसी स्थिति में उस चालक के लिए वाहन चलाना सुरक्षित है भी या नहीं।

यह भी पढ़ें- BYD से पिछड़ने के बाद Tesla की बढ़ी टेंशन, Sales Growth को बेहतर करने के लिए EV निर्माता ने बनाया ये प्लान

ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की मिलेगी जानकारी 

नावेल मैक बेस्ड आथेंटिकेशन स्कीम (नो-मैस) एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से वाहनों को और ज्यादा सुरक्षित भी बनाया जा सकता है और एक आम वाहन को स्मार्ट वेहिकल में परिवर्तित किया जा सकता है।

इसके जरिये वाहनों के बीच रियल टाइम कम्युनिकेशन का मदद से सड़कों की स्थिति, ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं के बारे में जानकारी साझा की जा सकती है। दूसरे शब्दों में यह तकनीक सड़कों की खराब स्थिति की जानकारी दूसरे वाहनों को दे सकती है।

इससे आपातकालीन अलर्ट जारी किया जा सकता है ताकि आसपास के वाहन सचेत हो जाएं। इसके लिए एक आनबोर्ड यूनिट की जरूरत होती है। इस यूनिट की मदद से किसी भी वाहन में आइओवी नेटवर्क के साथ संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

इसी तरह की तकनीक गाड़ी चलाते हुए ड्राइवरों के व्यवहार पर भी निगाह रख सकती है यानी उनके ड्राइविंग पैटर्न को समझा जा सकता है। इस पैटर्न के अध्ययन से यह पता लगाया जा सकता है कि उसे किसी तरह के तनाव का सामना तो नहीं करना पड़ रहा।

यह भी पढ़ें- Maruti Suzuki अपनी इन 3 पॉपुलर कारों को भेजेगी BNCAP, सेफ्टी फीचर्स और बिल्ड क्वालिटी पर पूरी दारोमदार