Nissan Motor इस देश में करेगा अपनी इलेक्ट्रिक कारों का प्रोडक्शन, बताया ग्लोबल लॉन्चिंग का फ्यूचर प्लान
Nissan Motor ने रविवार को चीन में डेवलप्ड इलेक्ट्रिक वाहनों को वर्ल्ड लेवल पर सेल करने के अपने इरादे की घोषणा की है। जापानी ऑटोमेकर चीन में निर्मित और डिजाइन की गई आगामी प्योर इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड कारों के साथ-साथ आंतरिक दहन इंजन वाहनों की अपनी वर्तमान लाइनअप को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात करने पर विचार कर रहा है।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। निसान मोटर ने रविवार को चीन में डेवलप्ड इलेक्ट्रिक वाहनों को वर्ल्ड लेवल पर सेल करने के अपने इरादे की घोषणा की है। इलेक्ट्रिक सेगमेंट के अंदर अनुसंधान और विकास में तेजी लाने के लिए ऑटोमेकर ने देश की कई लीडिंग यूनिवर्सिटी के साथ का करने की घोषणा की है। आइए, इसको लेकर पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।
Nissan का फ्यूचर प्लान
जापानी ऑटोमेकर चीन में निर्मित और डिजाइन की गई आगामी प्योर इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड कारों के साथ-साथ आंतरिक दहन इंजन वाहनों की अपनी वर्तमान लाइनअप को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात करने पर विचार कर रहा है। निसान मोटर के उपाध्यक्ष और निसान चीन के अध्यक्ष मसाशी मात्सुयामा ने बीजिंग में ये जानकारी दी है।
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निसान की नजर उन बाजारों पर है जो बीवाईडी जैसे चीनी प्रतिस्पर्धियों के निशाने पर हैं। ये इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैश्विक बाजार में पैठ बनाने के लिए एक रणनीतिक कदम का संकेत देता है। ये पहल निसान को टेस्ला, बीएमडब्ल्यू और फोर्ड जैसे अन्य विदेशी वाहन निर्माताओं के साथ जोड़ती है, जो कम मैन्युफैक्चरिंग कास्ट का लाभ उठाने और कारखाने की क्षमता उपयोग को अनुकूलित करने के लिए चीन में निर्मित वाहनों के निर्यात को बढ़ा रहे हैं।
चीन में है अच्छी पकड़
आंकड़ो की बात करें, तो चीन ने साल के पहले 10 महीनों में निसान की लगभग 2.8 मिलियन वाहनों की वैश्विक बिक्री में 20% से अधिक का प्रतिनिधित्व किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में एक तिहाई से कम है। चीन में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए, निसान ने अगले साल सिंघुआ विश्वविद्यालय के साथ एक संयुक्त अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।
ये सेंटर इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्र्क्चर और बैटरी रीसाइक्लिंग जैसे पहलू शामिल होंगे। यह सहयोग 2016 में सिंघुआ विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त अनुसंधान पहल पर आधारित है।
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