किसान ने घर पर बनाई इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में चलती है 300km, महज 8 घंटे में हो जाती है चार्ज
सुशील अग्रवाल ने कहा जब लॉकडाउन प्रतिबंध लागू किया गया था तो मैं अपने घर पर था। मुझे पता था कि लॉकडाउन हटने के बाद जल्द ही ईंधन की कीमतों में वृद्धि होगी। इसलिए मैंने अपनी कार बनाने का फैसला किया।
By BhavanaEdited By: Updated: Mon, 15 Mar 2021 08:54 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Electric Car Builds By Farmer: भारत में इलेक्ट्रिक वाहन लगातार अपना रास्ता तय कर रहे हैं। कंपनियां इस सेगमेंट में अपने एक से बढ़कर एक वाहन लॉन्च कर लोगों को आकर्षित करने की कोशिश में है। लेकिन बिना किसी तकनीक के मयूरभंज में रहने वाले एक किसान ने चार पहियों वाला इलेक्ट्रिक वाहन बनाया है। जिसकी खास बात यह है कि वह सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी पर चलता है।
सिंगल चार्ज में चलेगी 300km: दरअसल, ओडिशा के मयूरभंज जिले के रहने वाले सुशील अग्रवाल ने एक इलेक्ट्रिक कार को तैयार किया है, जिसमें 850 वॉट्स मोटर, 100 Ah/ 54 Volts की बैटरी का प्रयोग किया गया है। यह वाहन एक बार चार्ज करने पर 300 किमी तक चलने में सक्षम है। वहीं सुशील अग्रवाल ने बताया कि यह बैटरी करीब 8 घंटे में फुल चार्ज हो जाती है। हालांकि उन्होंने इस बात को भी साफ कर दिया है कि इस वाहन में प्रयोग की जानें वाली बैटरी काफी धीमे चार्ज करती है, लेकिन इसकी लाइफ 10 साल तक की है।
लॉकडाउन के दौरान शुरू किया था काम: सुशील अग्रवाल ने एएनआई को बताया, "मेरे पास घर पर एक कार्यशाला है। इस इलेक्ट्रिक वाहन को तैयार करने का काम इन्होंने लॉकडाउन के दौरान शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में मोटर वाइंडिंग, इलेक्ट्रिकल फिटिंग और चेसिस वर्क सहित सभी काम किए गए हैं। इस कार को तैयार करने में दो अन्य मैकेनिकों और एक दोस्त ने इनकी मदद की है।
सुशील अग्रवाल ने कहा, "जब लॉकडाउन प्रतिबंध लागू किया गया था तो मैं अपने घर पर था। मुझे पता था कि लॉकडाउन हटने के बाद जल्द ही ईंधन की कीमतों में वृद्धि होगी। इसलिए मैंने अपनी कार बनाने का फैसला किया। इस कार को बनाने के लिए इन्होंने कुछ किताबों को पढ़ा और YouTube पर वीडियो देखी।" मयूरभंज आरटीओ के अधिकारी गोपाल कृष्ण दास ने कहा कि, "मुझे यह जानकर खुशी हुई कि लॉकडाउन अवधि के दौरान सौर-बैटरी से चलने वाले वाहन को तैयार किया गया। ऐसे वाहन पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, और समाज को इस प्रकार के आविष्कार को प्रोत्साहित करना चाहिए।"