Move to Jagran APP

पहले से ज्यादा अपग्रेड हुआ Ola S1 Electric Scooter, मिला नया MoveOS 3 बीटा सॉफ्टवेयर अपडेट

Ola S1 Electric Scooter को नया सॉफ्टवेयर अपडेट दिया गया है। इसे बीटा वर्जन में लाया गया है और लॉन्च होने तक चरणों में पहुंचाया जा रहा है। बता दें कि सॉफ्टवेयर में कई शानदार फीचर्स और अपडेट्स को जोड़ा गया है जिससे ओला स्कूटर और भी एडवांस बन जाएगा।

By Sonali SinghEdited By: Updated: Tue, 01 Nov 2022 08:29 AM (IST)
Hero Image
Ola S1 Electric Scooter Get MoveOS 3 Beta Software Update
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Ola S1 Electric Scooter: इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन सेगमेंट में धूम मचाने वाली ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electic) ने अपने S1 स्कूटर को अपडेट करने के लिए कदम आगे बढ़ा दिया है। इसने नए मूवओएस 3 (MoveOS 3) सॉफ्टवेयर के बीटा वर्जन को रोल आउट करना शुरू कर दिया है। हालांकि, इसे फिलहाल लिमिटेड ग्राहकों को दिया जा रहा है और चरणों में रोलआउट किया जाएगा।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि मूवओएस 3 सॉफ्टवेयर की घोषणा दिवाली के दौरान की गई थी और इसे लेने के लिए रजिस्ट्रेशन 25 अक्टूबर से ही शुरू हो गए हैं। इसे कंपनी के आधिकारिक वेबसाइट से लिया जा सकता है।

क्या खास है MoveOS 3 सॉफ्टवेयर में?

MoveOS 3 बीटा सॉफ्टवेयर में कई शानदार फीचर्स को जोड़ा गया है। इसमें सबसे खास फीचर्स है फास्ट चार्जिंग की सुविधा। ओला के हाइपरचार्जर्स की मदद से चार्ज करने पर महज 15 मिनट में S1 ई-स्कूटर 50 किमी तक की ड्राइविंग रेंज दे सकता है। साथ ही इस अपडेट के साथ ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर की हेडलाइट को किसी भी गाने के साथ सिंक किया जा सकता है।

इसके अलावा, अपडेट हिल-असिस्ट, पार्टी मोड, ऑन-बोर्ड डॉक्यूमेंट स्टोरेज, इम्प्रूव्ड रीजेनरेशन फंक्शन, डैशबोर्ड पर कॉल स्क्रीन, लॉक और अनलॉक जैसे फीचर्स भी देखने को मिलेंगे।

हाल में आया है Ola का नया किफ़ायती स्कूटर

आपको बता दें कि ओला ने कुछ दिन पहले ही अपने लाइनअप का सबसे किफायती मॉडल Ola S1 Air लॉन्च किया है। इस स्कूटर में 4.5kW का मोटर और 2.5 kWh का बैटरी पैक दिया गया है, जिससे यह स्कूटर एक बार चार्ज होने पर 101 किमी की रेंज और 90 किमी प्रति घंटे की टॉप स्पीड से चल सकता है।

ये भी पढ़ें-

गाड़ी की टंकी में पड़ा तेल भी हो सकता है खराब, इतने दिन नहीं बदला तो लग सकती है हजारों की चपत

Hybrid Car में मिलने वाले माइल्ड, प्लग-इन और स्ट्रॉन्ग तकनीक में आखिर क्या है अंतर? कैसे होती है आपकी बचत