नए वाहनों की मांग को बढ़ावा देने के लिए स्क्रैपेज पॉलिसी में करें प्रावधान: संसदीय समिति
संसदीय समिति ने कहा कि सरकार को नए वाहनों की मांग को बढ़ावा देने के लिए स्क्रैपेज पॉलिसी में प्रावधान करना चाहिए। समिति ने सुझाव दिया कि देश भर में ऑटोमोटिव व्हीकल्स स्क्रैपिंग फैसिलिटी (एवीएसएफ) केंद्रों की स्थापना कर वित्तीय प्रोत्साहन करना चाहिए जिससे लोग नए वाहनों को खरीद सकें।
By Sarveshwar PathakEdited By: Updated: Thu, 17 Feb 2022 07:49 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। एक संसदीय स्थायी समिति ने सरकार को नए वाहनों की खरीद की मांग को बढ़ावा देने के लिए 'राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपेज नीति' में अग्रिम वित्तीय प्रोत्साहन के प्रावधान करने का सुझाव दिया है। समिति ने 'ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी' पर अपनी हालिया रिपोर्ट में सिफारिशें की हैं। समिति ने सुझाव दिया कि देश भर में ऑटोमोटिव व्हीकल्स स्क्रैपिंग फैसिलिटी (एवीएसएफ) केंद्रों की स्थापना के अलावा सरकार को स्क्रैपेज नीति में अग्रिम वित्तीय प्रोत्साहन के प्रावधान भी करने चाहिए, जिसमें कहा गया है कि प्रस्तावित वित्तीय प्रोत्साहन ग्राहकों को अपने पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों को स्क्रैप करने और नए बीएस 6-अनुपालन वाले वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
इसके अलावा, विभाग संबंधित उद्योग संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने भी सिफारिश की कि सरकार को प्रस्तावित एवीएसएफ केंद्र का चयन करते समय पर्याप्त पारदर्शिता प्रदान करनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि ये पूर्व-निर्धारित मापदंडों के पालन पर आधारित होने चाहिए, जिन्हें ऐसे केंद्रों को पूरा करना होता है।रिपोर्ट में किया गया ये उल्लेख
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पिछले साल मार्च में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी ने पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) की स्थापना पर मोटर वाहन नियम, 2021 के प्रावधानों के तहत एक अधिसूचना जारी की थी ताकि आरवीएसएफ के चयन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। उक्त मसौदा अधिसूचना में वाहनों के पंजीकरण शुल्क, फिटनेस परीक्षण शुल्क और फिटनेस प्रमाणन शुल्क में संशोधन का भी प्रावधान है और यह पहल पुराने प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में है।
इससे पहले समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि ऑटोमोटिव मिशन योजना (2026) का मुख्य उद्देश्य भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम का इंजन बनने के लिए प्रेरित करना है। इस संबंध में फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने समिति को सूचित किया कि यदि ऑटो सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी जाती है, तो यह भारतीय ऑटो डीलरों को विदेशी निवेश आकर्षित करके विस्तार करने की अनुमति देगा।