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अप्रैल 2023 से बढ़ सकती हैं पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल की कीमतें, कंपनियां कर रही हैं तैयारी

वाहन कंपनियां अप्रैल से लागू होने वाले कड़े उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल की कीमत में बढ़ोतरी करने की तैयारी में हैं। प्रोडक्शन की लागत में जो बढ़ोतरी होगी वह खरीदारों से ही वसूल की जाएगी।

By Ayushi ChaturvediEdited By: Updated: Sun, 09 Oct 2022 04:59 PM (IST)
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अगले साल अप्रैल से पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल लेना पड़ेगा महंगा
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। अगर आप अपने लिए अगले साल एक नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको अपना बजट अब बढ़ाना होगा, क्योंकि वाहन निर्माता कंपनियां अगले साल अप्रैल से लागू होने वाले कड़े उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल की कीमत में बढ़ोतरी करने वाली है। 

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग वर्तमान में गाड़ियों में भारत स्टेज VI के दूसरे चरण को पूरा करने के लिए काम कर रहा है। यह यूरो-VI उत्सर्जन मानदंडों के बराबर है। चार पहिया यात्री और वाणिज्यिक वाहनों को उत्सर्जन मानकों के अगले स्तर पर खरा उतरने के लिए लेटेस्ट तकनीक और एडवांस उपकरणों की आवश्यकता होगी। इनकी लागत बहुत अधिक होती है।

प्रोडक्शन में होगी बढ़ोतरी

आपको बता दें चार पहिया वाहन और कमर्शियल वाहन को उत्सर्जन मानकों के अगले स्तर को पूरा करने के लिए बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं इंडस्ट्री के एक्सपटर्स को उम्मीद है कि प्रोडक्शन की लागत में बढ़ोतरी होगी, जिसका बोझ खरीदारों पर ही डाला जाएगा।

नए मानदंडों के अनुसार, उत्सर्जन स्तर की निगरानी के लिए वाहनों में एक ऑन-बोर्ड सेल्फ डॉयग्नोसिस डिवाइस (on-board self-diagnostic device) हो सकती है। यह डिवाइस कनवर्टर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे उत्सर्जन मानकों को पूरा करने के लिए प्रमुख भागों को लगातार मॉनिटर करता रहेगा।

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ईंधन के स्तर को कंट्रोल करने के लिए होगा अपग्रेड

इसके साथ ही जले हुए ईंधन के स्तर को कंट्रोल करने के लिए, वाहनों में प्रोग्राम किए गए ईंधन इंजेक्टर भी होंगे। ये इंजन में इंजेक्ट किए गए ईंधन के समय और मात्रा दोनों को कंट्रोल करते रहेंगे। यहां तक की कार में इस्तेमाल की जाने वाली monitor throttle और air intake pressure को भी निगरानी के दायरे में लाने की तैयारी है। इंजन के टेम्प्रेचर और निकलने वाले धुएं के पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन ऑक्साइड, CO2, सल्फर, इन सब पर नजर रखने के लिए तकनीक को अपग्रेड किया जाएगा।

70,0000 करोड़ रुपये का हुआ निवेश

भारत में 1 अप्रैल 2020 से BS-VI को अपनाने के लिए आगे बढ़ रहा है। इस बदलाव के कारण घरेलू ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने अपने टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के लिए लगभग 70,0000 करोड़ रुपये का निवेश किया। सरकार 2016 में ऑटोमोबाइल उद्योग को अप्रैल, 2020 तक BS-VI मानदंडों में अपग्रेड करने के लिए कहा था।

प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति बनी कारण 

दिल्ली-एनसीआर सहित देश के विभिन्न शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण की स्थिति, वाहनों में उत्सर्जन मानदंडों को लागू करने के प्रमुख कारणों में से एक थी। सल्फर कटेंट बीएस IV और बीएस VI मानदंडों के बीच प्रमुख अंतर है।