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RBI ने ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को किया अपडेट, FASTag बैलेंस कम होने पर खुद ही ऐड हो जाएगा पैसा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड को ई-मेंडेट में शामिल करने जा रहा है। ऐसा होने के बाद आपकी गाड़ी आसानी से निकल सकेगी। इसके साथ ही फास्टैग का बैलेंस कम होने पर उसमें पैसे अपने आप एड हो जाएंगे। जिसकी वजह से आपका सफर पहले से ज्यादा सुविधाजनक हो जाएगा। आइए जानते हैं कि ई-मेंडेट क्या है और इसके किस लिए डेवलपर किया गया है।

By Mrityunjay Chaudhary Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Fri, 23 Aug 2024 03:42 PM (IST)
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फास्टैग में बैलेंस कम होने पर अपने आप पैसे एड होंगे।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने FASTag को लेकर एक अपडेट की घोषणा की है। RBI ने फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड को ई-मेंडेट को शामिल करने का निर्णय लिया है। ऐसा होने के बाद अब अगर लोगों के FASTag बैलेंस तय सीमा से नीचे जाने पर अपने आप ही उसमें पैसे ऐड हो जाएंगे। इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं, जब बैलेंस ग्राहक द्वारा तय सीमा के कम हो जाने के बाद ई-मैंडेट ऑटोमैटिक रूप से फास्टैग और NCMC की भरपाई कर देगा।

ऑटोमेटिक फास्टैग में एड हो जाएंगे पैसे

RBI के ई-मैंडेट फ्रेमवर्क में फास्टैग और NCMC शामिल होने के बाद अगर ग्राहक को फास्टैग को बार-बार रिचार्ज करने का झंझट खत्म हो जाएगा। FASTag में पर्याप्त बैलेंस नहीं होने पर भी गाड़ी टोल प्लाजा पर नहीं रुकेगी। वहां से आपकी गाड़ी आसानी से निकल सकेगी। फास्टैग के लिए आपको कभी भी पेमेंट करने की जरूरत पड़ सकती है। लिहाजा बिना किसी निश्चित तय सीमा के पैसे खाते में क्रेडिट हो जाएंगे।

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क्या है ई-मैंडेट?

ई-मैंडेट यानी भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि जैसे निश्चित अवधि वाली सुविधाओं के लिए निश्चित समय पर ग्राहक के खाते में भुगतान स्वयं हो जाता है। इसमें ऐसे फीचर्स और प्लेटफॉर्म्स को जोड़ा जा रहा है, जिनके लिए पेमेंट का कोई समय तय नहीं है जबकि पेमेंट जमा राशि कम होने पर किया जाता है। यह RBI के जरिए शुरू की गई एक डिजिटल पेमेंट सर्विस है, जिसकी शुरुआत साल 2020 से हुई है।

क्या होता है फास्टैग?

यह एक तरह का टैग या स्टिकर होता है। यह गाड़ी की विंडदस्क्रीन पर लगाया जाता है। यह फास्टैग रेडियो फ्रिकेंसी आइडेंटिफिकेशन या RFID तकनीक पर काम करता है। इस स्टिकर के बार-कोड होता है, जिसे टोल प्लाजा पर लगे कैमरे उसे स्कैन कर लेते हैं। वहां, पर टोल फीस अपने आप फास्टैग के वॉलेट से कट जाती है। एक बार खरीदा गया फास्टैग स्टिकर 5 साल के लिए वैलिड होता है यानी आपको उसके 5 साल पूरे होने के बाद बदलवाना या वैलिडिटी बढ़वानी पड़ती है।

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