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सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा कैशलेस ट्रीटमेंट, पंजाब और असम में शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट

सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए लोग जल्द ही केंद्र द्वारा दी जाने वाली कैशलेस ट्रीटमेंट सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। NHA पूरे भारत में इस योजना को लागू करने के लिए जिम्मेदार होगा। यह स्थानीय पुलिस अस्पतालों स्वास्थ्य एजेंसियों और सामान्य बीमा परिषद सहित विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय करेगा। एनएचए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करेगा जिसमें योजना के लिए आवेदन करने के लिए दुर्घटना पर एक विस्तृत रिपोर्ट होगी।

By Agency Edited By: Ram Mohan Mishra Updated: Thu, 01 Aug 2024 07:30 PM (IST)
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सड़क दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस ट्रीटमेंट दिया जाएगा।
एएनआई, नई दिल्ली। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए लोग जल्द ही केंद्र द्वारा दी जाने वाली कैशलेस ट्रीटमेंट सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। इस परियोजना की घोषणा इस साल मार्च में की गई थी। इसका उद्देश्य हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली अधिक से अधिक जानों को बचाने में मदद करना है।

चंडीगढ़ और असम में शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री Nitin Gadkari ने कहा कि सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद के लिए योजना चंडीगढ़ और असम में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई है। मंत्री ने संसद को बताया कि इस योजना में सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के उपचार को शामिल किया जाएगा, चाहे वह किसी भी तरह की सड़क पर हुई हो।

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1.5 लाख रुपये तक होंगे खर्च 

भारत वर्तमान में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतों वाले देशों में पहले पायदान पर है। भारत में 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.68 लाख लोगों की मौत हुई। गुरुवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में नितिन गडकरी ने कहा कि इस योजना के तहत, पात्र पीड़ितों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के तहत लिस्टेड अस्पतालों में दुर्घटना की तारीख से अधिकतम 7 दिनों की अवधि के लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के ट्रॉमा और पॉलीट्रॉमा देखभाल से संबंधित स्वास्थ्य लाभ पैकेज दिए जाते हैं।

गोल्डन ऑवर में होती हैं सबसे ज्यादा मौतें 

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ित अक्सर दुर्घटना के बाद शुरुआती फेज के दौरान पहले उत्तरदाता की अनुपलब्धता या अस्पताल में भर्ती होने के कारण मर जाते हैं, जिसे गोल्डन ऑवर भी कहा जाता है। कैशलेस उपचार की लागत मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164बी के तहत मोटर वाहन दुर्घटना कोष द्वारा प्रदान की जाएगी।

2022 में भारत में 4.61 लाख से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.68 लाख से ज़्यादा लोगों की जान चली गई और 4.43 लाख लोग घायल हुए। केंद्र ने हाल ही में कहा है कि उसका लक्ष्य 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करना है।

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