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EV में आग की घटना को रोकने के लिए तैयार हो रहे नियम, रैंडम चेकिंग से लेकर बैटरी की गुणवत्ता तक में होगी सख्ती

इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की घटना को कम करने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय गाइडलाइन तैयार कर रही है। इसके तहत रैंडम चेकिंग जैसी निगरानी की बात की जा रही है। वहीं NHEV भी इस संदर्भ में जल्द नए नियम लाने वाली है।

By Sonali SinghEdited By: Updated: Sat, 02 Jul 2022 07:08 AM (IST)
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ई-स्कूटर की रैंडम चेकिंग से लेकर बैटरी तक की बढ़ेगी निगरानी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले कुछ समय में इलेक्टिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे जान और माल दोनों का काफी नुकसान हुआ है। इसलिए इन घटनाओं पर रोक के लिए सड़क परिवहन व भारी उद्योग मंत्रालय रैंडम चेकिंग के साथ उनमें इस्तेमाल की जाने वाली बैटरी की गुणवत्ता को लेकर सख्ती बरतने के लिए नए नियमों पर विचार कर रही है।

सौंपी जा चुकी है जांच रिपोर्ट

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस साल देशभर में कई इलेक्टिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की घटनाओं के बाद सड़क परिवहन मंत्रलय ने डीआरडीओ को इसके जांच की जिम्मेदारी दी थी। जिसकी रिपोर्ट भी परिवहन मंत्रलय को सौंपी जा चुकी है। जानकारी के मुताबिक, इस जांच में ज्यादातर दोपहिया वाहनों की बैटरी दोषपूर्ण पाई गई हैं। हालांकि, रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।

इन सबके बीच दोनों मंत्रालयों में इलेक्टिक दोपहिया वाहनों की सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक अभी इलेक्टिक दोपहिया वाहनों की रैंडम चेकिंग या जिसे कंफर्मिटी आफ प्रोडक्शन कहा जाता है, नहीं की जाती है और न ही निर्माण से पहले ली गई मंजूरी के बाद इलेक्टिक वाहनों की कोई जांच होती है। इसलिए मंत्रालय इसे लागू करने का विचार कर सकती है।

वर्तमान में क्या है प्रक्रिया?

अभी भारत में बैटरी का निर्माण ना के बराबर होता है और इलेक्टिक दोपहिया वाहनों में लगाई जाने वाली बैटरी कई छोटे सेल को मिलाकर तैयार की जाती है। ये सभी सेल को भारत में आयात किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से चीन जैसे देशों के नाम आते हैं। 2024 से भारत में बैटरी निर्माण शुरू हो जाएगा। उसके बाद सरकार इलेक्टिक दोपहिया वाहनों में भारतीय बैटरी के इस्तेमाल को अनिवार्य कर सकती है।

NHEV भी बना रही है गाइडलाइन

इलेक्ट्रिक वाहनों की सुरक्षा के लिए नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल (NHEV) भी गाइडलाइन तैयार कर रही है। जानकारी के मुताबिक, NHEV ने बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग के बुनियादी ढांचे के बारे में सेफ्टी गाइडलाइंस तैयार किए हैं। इसके तहत बैटरी सिस्टम की निगरानी के लिए ब्लैक-बॉक्स लगाना और बैटरी की विफलता का कारण बनने वाली समस्याओं को इंगित करना जैसे समाधान के बारे में विचार किया जा रहा है। संगठन ने 12 गाइडलाइन पेश किए हैं, जिनमें से एक बैटरी की विफलता की चिंताओं और बैटरी आग के खतरों की पहचान करने के लिए एक पहचान उपकरण का उपयोग करना है।