Skoda और Volkswagen की कारों में मिलेगा नया 8 स्पीड गियरबॉक्स, ड्राइविंग और माइलेज में होगा सुधार
यूरोपियन वाहन निर्माता Skoda और Volkswagen की ओर से भारत में कई सेगमेंट में कारों को ऑफर किया जाता है। कंपनियां अपनी कारों को अपडेट करने की तैयारी कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों कंपनियां अपनी कारों और एसयूवी के गियरबॉक्स को बदल सकती हैं। कब तक और किन कारों में किस गियरबॉक्स को लाया जा सकता है। आइए जानते हैं।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय बाजार में Skoda और Volkswagen की ओर से कई बेहतरीन कारों और एसयूवी की बिक्री की जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों कंपनियों की ओर से ऑफर की जाने वाली कारों और एसयूवी में जल्द ही नया गियरबॉक्स दिया जा सकता है। ऐसा कब तक किया जा सकता है और किस तरह की खासियत के साथ नए गियरबॉक्स को लाया जा सकता है। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
बदलेगा गियरबॉक्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्कोडा और फॉक्सवैगन की ओर से ऑफर की जाने वाली कारों में जल्द ही नया गियरबॉक्स देखने को मिल सकता है। जानकारी के मुताबिक कंपनी की योजना 8स्पीड गियरबॉक्स (AQ 300) के साथ कारों को ऑफर करने की है।
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किसकी जगह लेगा नया गियरबॉक्स
स्कोडा और फॉक्सवैगन दोनों कंपनियां अपनी कारों और एसयूवी में 6 स्पीड AT गियरबॉक्स को ऑफर करती हैं। लेकिन इस गियरबॉक्स की जगह 8स्पीड का नया टॉर्क कनवर्टर गियरबॉक्स दिया जाएगा। जिसे 1.5 लीटर की क्षमता वाले इंजन के साथ लाया जाएगा।
1.5 लीटर इंजन वाले सेगमेंट में कड़ा होगा मुकाबला
दोनों ही कंपनियों की ओर से जब नए गियरबॉक्स के साथ अपनी कारों और एसयूवी को ऑफर किया जाएगा तो वह सभी अपने सेगमेंट में सबसे ज्यादा टॉर्क के साथ आने वाली कारों की लिस्ट में शामिल हो जाएंगी। मौजूदा समय में 1.5 लीटर इंजन के साथ जिस 6 स्पीड AT गियरबॉक्स को दिया जाता है उससे 250 न्यूटन मीटर का टॉर्क मिलता है। लेकिन नए गियरबॉक्स के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 300 न्यूटन मीटर के टॉर्क तक हो जाएगा।पावर और माइलेज में होगी बढ़ोतरी
नए गियरबॉक्स के कारण ड्राइव साइकिल में इंजन पर भार कम होगा जिससे कम CO2 जनरेट होगी और इसका नतीजा यह होगा कि गाड़ी की माइलेज में बढ़ोतरी हो जाएगी। इसके अलावा नए गियरबॉक्स के कारण गाड़ी की पावर में भी बढ़ोतरी होगी। नए गियरबॉक्स के कारण कीमतों में बढ़ोतरी भी हो सकती है लेकिन कंपनियों की आरे से कोशिश की जाएगी कि इनको स्थानीय स्तर पर ही बनाया जाए जिससे इनकी कीमत कम रखने में मदद मिलेगी।