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Highways पर स्पीड लिमिट कम कर सकते हैं राज्य, केंद्र सरकार से लेनी होगी पहले इजाजत

बदलाव से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक राज्यों को अब इस मामले में केंद्र से परामर्श करना अनिवार्य होगा। वे अपने स्तर पर गति सीमा में बदलाव से पहले इस बारे में केंद्र सरकार से पूछेंगे। राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस वे पर गति सीमा केंद्र सरकार तय करती और राज्य अपनी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार इसमें बदलाव कर सकते हैं।

By Mrityunjay Chaudhary Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Sun, 01 Sep 2024 09:30 PM (IST)
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राजमार्गों पर गति सीमा कम करने से पहले राज्यों को लेनी होगी इजाजत।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय मोटर वाहन कानून में फिर से कई अहम संशोधन करने जा रहा है। 2019 में पिछली बार व्यापक संशोधन किए गए थे, जिनके तहत सड़क सुरक्षा को दुरुस्त करने के लिए ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर सजा के प्रावधान और कड़े किए गए थे। नए संशोधनों में राज्यों की हाईवे पर गति सीमा निर्धारित करने के अधिकार सीमित किए जा सकते हैं।

एक्सप्रेस वे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा

इधर कई राज्यों के संदर्भ में यह शिकायत आती रहती है कि वे सुरक्षा को लेकर अपनी ओर से उपयुक्त कदम उठाने के बजाय गति सीमा काफी कम कर देना आसान विकल्प समझते हैं। इससे राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे का उद्देश्य ही प्रभावित होता है। पिछले साल गति सीमा को लेकर एक समिति की सिफारिश के बाद राजमार्गों पर अधिकतम सौ किलोमीटर तथा एक्सप्रेस वे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की सीमा निर्धारित की गई थी।

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ये राज्य कर रहे सीमा बढ़ाने की मांग

पंजाब और कर्नाटक जैसे राज्य हाईवे और एक्सप्रेस वे की इस सीमा को बढ़ाने की भी मांग करते रहे हैं, लेकिन अधिकांश राज्य इसे ही ज्यादा मानते हैं और दुर्घटनाओं की आशंका को खत्म करने के लिए उससे कहीं कम सीमा तय कर देते हैं। इससे वाहन चालकों के मन में भी असमंजस पैदा होता है। व्यावसायिक वाहन चलाने के लिए डीएल नियमों में भी होगा बदलाव नए संशोधनों में व्यावसायिक वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस पर नियमों में बदलाव भी शामिल है।

हल्के वाहनों को लेकर हो सकते हैं बदलाव

हल्के मोटर वाहन चलाने के लाइसेंस के दायरे में कुछ व्यावसायिक वाहनों को भी शामिल किया जा सकता है। अभी हल्के मोटर वाहन के लाइसेंस के जरिये छोटे व्यावसायिक वाहन भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन बीमा कंपनियों ने इससे जुड़ी विसंगतियों के कारण क्लेम देने से मना किया है और कई मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने वादा किया है कि वह ड्राइविंग लाइसेंस के संदर्भ में राज्यों के साथ परामर्श के बाद नए नियम बनाएगा।

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